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Abhishek Gaur

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रक्षाबंधन उत्सव: भाई बहन के प्यार का त्यौहार।


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रक्षाबंधन उत्सव: भाई बहन के प्यार का त्यौहार।

दोस्तों रक्षाबंधन उत्सव जो कि भाई बहन के प्यार का त्यौहार है तथा जिसे आमतौर पर बोलचाल की भाषा में राखी का त्यौहार भी कहते हैं हर साल श्रावण मास के पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ सुरक्षा का बंधन है। इस दिन बहन अपने भाइयों को राखी बनती है तथा बदले में भाई उन्हें उम्र भर रक्षा करने का वादा करते हुए अपने सामर्थ्य अनुसार कोई तोहफा देते हैं।

रक्षाबंधन उत्सव मुख्य तौर पर भाई-बहन के प्यार का त्यौहार है। रक्षाबंधन उत्सव का इतिहास बेहद पुराना है एवं रक्षाबंधन उत्सव से कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई ह रक्षाबंधन उत्सव को विस्तारपूर्वक समझने के लिए लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।

 

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रक्षाबंधन का इतिहास:-

दोस्तों रक्षाबंधन का इतिहास कई सारी पुरानी कथाओं से जुड़ा हुआ है। जिनमें से एक कथा महाभारत से आती है। जिसके अनुसार जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था तो सुदर्शन चक्र से उनकी उंगली कट गई थी। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी के पल्लू को फाड़ कर उनके उंगली पर पट्टी बंधी थी एवं तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी को उम्र भर रक्षा करने का वादा दिया और चीर-हरण के समय उनकी साड़ी बढ़ाकर उनकी रक्षा की।

इसके अलावा एक ऐतिहासिक कथा के अनुसार गुजरात की रानी कर्णावती ने अपने राज्य को बहादुर शाह से बचने के लिए हुमायूं को राखी भेजी थी एवं इसके बदले में हुमायूं ने रानी कर्णावती की सहायता एवं रक्षा की। इन्हीं सब पौराणिक कथाओं को ध्यान में रखते हुए आज भी रक्षाबंधन उत्सव को मनाया जाता है जिसमें भाई अपने बहन को उम्र भर रक्षा करने का वादा देते हैं।रक्षाबंधन उत्सव के बारे में और अधिक जानकारी के लिए लेख को आगे पढ़ें।

 

रक्षाबंधन उत्सव एवं महत्व:-

रक्षाबंधन उत्सव एक काफी महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्यौहार केवल धार्मिक या सांस्कृतिक तौर पर ही नहीं बल्कि सामाजिक तौर पर भी बेहद मायने रखता है। रक्षाबंधन उत्सव के दिन बहन-भाई सुबह जल्दी उठकर स्नान करके तैयार होकर पूजा की तैयारी करते हैं एवं बहनें अपने भाई को राखी बांधती है, तिलक लगाती है तथा आरती उतारकर कर मिठाई खिलाती है और भाई के दीर्घायु होने की कामना करती है।

भाई अपनी बहन को उम्र भर रक्षा करने का वादा देते हुए उन्हें अपने सामर्थ्य के अनुसार कुछ उपहार देते हैं। यह रक्षाबंधन उत्सव भाई बहन के बीच प्यार, समर्पण, सुरक्षा एवं समर्थन का प्रतीक है। रक्षाबंधन उत्सव सामाजिक तौर पर भाईचारे एवं एकता को बढ़ावा देता है इसलिए रक्षाबंधन उत्सव का महत्व बहुत अधिक है। यह रक्षाबंधन उत्सव सभी धर्मों के लोगों को एक साथ लाता है एवं भारत की अनेकता में एकता के ताकत को दिखाता है।

रक्षाबंधन उत्सव

 

निष्कर्ष:-
दोस्तों रक्षाबंधन उत्सव मुख्य तौर पर भाई बहन के प्यार का त्यौहार है लेकिन बदलते दौर के साथ बहनों, दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच भी इस त्यौहार को मनाया जा रहा है। यानी सरल शब्दों में कहे तो जिन लोगों के बीच भाई बहन वाला प्यार, समर्पण, एकता एवं समर्थन है वह आपस में इस उत्सव को मना सकते हैं। मुख्य तौर पर यह भारतीयों का त्यौहार है लेकिन अब विश्व के कई हिस्सों में एकता को दिखाने के लिए रक्षाबंधन उत्सव को मनाया जा रहा है।

जिसके कारण धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ यह त्यौहार सामाजिक महत्व को भी दर्शाता है। चाहे कितनी भी परंपराएं बदलें और समाज कितना भी आगे बढ़ जाए लेकिन भाई बहनों के प्यार का त्यौहार यह रक्षाबंधन उत्सव हर वक्त मनाया जाएगा और भाई बहनों का बंधन हमेशा पवित्र बना रहेगा।

 


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amankumarlot@gmail.com | पोस्ट किया


रक्षाबंधन 2024: भाई-बहन के प्यार का त्यौहार

रक्षाबंधन, जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भाई-बहन के पवित्र और अटूट बंधन का प्रतीक है। यह पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा।

 

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने और एक-दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान का प्रतीक है। इस पर्व के पीछे कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई हैं, जैसे कि कृष्ण और द्रौपदी की कथा, जहां कृष्ण ने द्रौपदी को उनकी संकट की घड़ी में बचाया और बदले में द्रौपदी ने उन्हें राखी बांधी।

 

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रक्षाबंधन की कहानी

रक्षाबंधन के पर्व की जड़ें प्राचीन पौराणिक कथाओं में गहराई से जमी हुई हैं। महाभारत की कहानी में, जब द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था, तो भगवान कृष्ण ने अपनी अंगुली से खून बहने के बाद द्रौपदी को अपनी साड़ी का एक टुकड़ा बांध दिया। बदले में, द्रौपदी ने कृष्ण को राखी बांधी और उन्हें अपने भाई के रूप में सम्मानित किया।

इसके अलावा, रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूँ की कहानी भी इस पर्व से जुड़ी हुई है, जहां रानी ने हुमायूँ को राखी भेजकर अपनी रक्षा की गुहार लगाई थी और हुमायूँ ने उनकी मदद की।

 

रक्षाबंधन की तिथि और शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन का पर्व इस साल 19 अगस्त को मनाया जाएगा। इस दिन शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:

प्रदोष काल का मुहूर्त: शाम 07:04 PM से 09:07 PM तक।

भद्रा का समय: भद्रा पाताललोक में रहेगी, जो राखी बांधने के लिए शुभ मानी जाती है।

सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 05:53 AM से 08:10 AM तक।

 

रक्षाबंधन का अनुष्ठान

रक्षाबंधन के दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। इस दिन, पूरे परिवार के साथ मिलकर विभिन्न मिठाइयाँ बनाई जाती हैं और घर में हर्षोल्लास का माहौल होता है।

 

रक्षाबंधन पर विशेष योग

इस वर्ष रक्षाबंधन पर कई दुर्लभ और शुभ योग बन रहे हैं। इस बार राखी पर सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा, जो इस पर्व को और भी विशेष बनाता है। इसके अलावा, शोभन योग और रवि योग भी इस दिन बन रहे हैं, जो पूरे दिन को और भी शुभ बनाते हैं।

 

रक्षाबंधन के सांस्कृतिक और सामाजिक पहलू

रक्षाबंधन का पर्व भारतीय समाज में भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह पर्व न केवल पारिवारिक संबंधों को मजबूती प्रदान करता है, बल्कि समाज में एकता और प्रेम का भी संदेश देता है। इस दिन विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों द्वारा भी विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जहां भाई-बहन के रिश्ते को सम्मानित किया जाता है।

 

रक्षाबंधन उत्सव: भाई बहन के प्यार का त्यौहार।

 

रक्षाबंधन का आधुनिक संदर्भ

वर्तमान समय में, रक्षाबंधन का पर्व और भी व्यापक हो गया है। लोग इस दिन को न केवल अपने सगे भाई-बहनों के साथ मनाते हैं, बल्कि वे मित्रों, सहयोगियों और यहां तक कि सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी राखी बांधते हैं। यह पर्व भाईचारे और समानता का प्रतीक बन गया है, जहां हर व्यक्ति एक-दूसरे की सुरक्षा और सम्मान का संकल्प लेता है।

 

रक्षाबंधन का वैश्विक प्रभाव

भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। भारतीय प्रवासी इस दिन को अपने नए देश में भी उत्साह के साथ मनाते हैं, जिससे यह पर्व वैश्विक स्तर पर भी महत्व प्राप्त कर चुका है। इस प्रकार, रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है, जो दुनियाभर में भाईचारे और प्रेम का संदेश फैलाता है।

 

निष्कर्ष

रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के पवित्र और अटूट बंधन का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस साल, रक्षाबंधन 19 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा, जो भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाएगा। इस दिन, सभी भाई-बहनों को एक-दूसरे के प्रति अपने प्यार और सम्मान का इजहार करना चाहिए और इस पवित्र बंधन को हमेशा के लिए संजो कर रखना चाहिए।

 


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