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आप संतान सप्तमी व्रत पूजा विधि के बारे में जानना चाहते हैं। तो चलिए हम आपको इसकी पूरी विधि बताते हैं। हमारे हिंदू धर्म में संतान सप्तमी व्रत संतान की लंबी आयु,नए संतान की प्राप्ति और संतान की तरक्की के लिए की जाती है. बहुत से लोग संतान सप्तमी को मुक्ताभरण व्रत के नाम से जानते हैं। इस व्रत को हर साल भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष के सप्तमी तिथि के दिन किया जाता है।इस व्रत को करने के लिए स्त्री को सुबह उठकर स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद पूजा पाठ की तैयारी करनी चाहिए और पूजा दोपहर तक में संपन्न कर लेनी चाहिए तो ज्यादा अच्छा होता है।इस व्रत में भगवान विष्णु और माता पार्वती और भगवान शिव जी की पूजा की जाती है। यदि आप सच्चे मन से पूजा करते हैं तो भगवान आपसे प्रसन्न होकर आपकी इच्छा पूरी करते हैं।
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संतान सप्तमी का व्रत और पूजाविधि -
महिलाओ को संतान सप्तमी के व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर नहाना चाहिए उसके बाद पूजा स्थल पर गंगाजल से छिड़काव करना चाहिए,पूजा घर पर भगवान शिव और माता पार्वती की फोटो रखकर धूप जलाये और आरती करे उसके बाद बेलपत्र चढ़ाये प्रसाद में खीर-पूरी, मिठाई और मीठे पूए का भोग लगा सकते है, साथी शिव जी और माँ पार्वती के फोटो के सामने नारियल के साथ कलश की स्थापना जरूर करे।
उसके बाद पूजा विधि के लिये थाली मे सभी समाग्री इकट्ठा कर ले, थाली मे फूल, फल, सिंदूर, कुमकुम हल्दी, चंदन,चावल, कपूर और चांदी की चूड़ी आदि रख ले। माता पार्वती और शिव जी की प्रतिमा मे दीपक जलाये, सिंदूर, हल्दी टीका लगाए चवाल छिड़के, फूल, फल और चांदी की चूड़ी उनके चरणों मे अर्पित करे उसके बाद प्रसाद मे पूड़ी, पंजीरी चढ़ाये और आरती करे इसके बाद संतान की सुख, समृद्धि के लिये हाथ जोड़कर प्रार्थना करे उसके बाद चांदी की चूड़ी आपने हाथो मे पहन ले।
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यदि आप भी पहली बार संतान सप्तमी व्रत रख रही है तो चलिए हम आपको संतान सप्तमी व्रत की पूजा विधि के बारे में बताते हैं हिंदू धर्म की महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए संतान सप्तमी का व्रत रखती हैं। इस व्रत को हिंदू पंचांग के अनुसार भादो मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है।इसे बहुत से लोग ललित सप्तमी के नाम से भी जानते हैं। संतान सप्तमी वाले दिन माता-पिता अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए इस व्रत को करते हैं तो इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए,इसके बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर भगवान विष्णु माता पार्वती और भगवान शिव जी की पूजा करनी चाहिए, हो सके तो व्रत को दोपहर तक में ही पूरा कर लेना चाहिए तो ज्यादा अच्छा माना जाता है।परिवार वालों के साथ भगवान जी की आरती की जाती है और उनके सामने नतमस्तक कर कर अपनी इच्छा रखी जाती है।
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