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मोसाद. दुनिया की सबसे खूंखार खुफिया एजेंसी. जिसके नाम पर कहानियां चलती हैं. मोसाद को इजराइल की किलिंग मशीन कहा जाता है. ये लोग इजराइल के दुश्मनों को पूरी दुनिया में खोज के मारते हैं. मारने का मकसद सिर्फ मारना ही नहीं होता. बल्कि डर पैदा करना होता है कि इजराइल से पंगा ना लो. चारों ओर से अपने दुश्मनों से घिरे इस नन्हें से देश को बड़ा क्रूर बनना पड़ता है जिंदा रहने के लिये. आइये पढ़ते हैं मोसाद के कारनामों के बारे में जिन्होंने कभी डर पैदा किया कभी बेइज्जती भी कराई:
1. ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड (खुदा का कहर)
1972 में म्यूनिख ओलंपिक के लिये दुनिया भर से खिलाड़ी इकट्ठा हुये थे. इसी दौरान एक खतरनाक घटना हुई. इजराइल ओलंपिक टीम के 11 खिलाड़ियों को उनके होटल में मार दिया गया. इसका आरोप लगा दो आतंकवादी संगठनों पर- Black September और Palestine Liberation Organization.
इसके बाद इजराइली सरकार भड़क गई. बदले के लिये प्लान किया जाने लगा. 11 लोग हिट लिस्ट में थे. फिर मोसाद ने जो काम किया वो सीधा फिल्मों की तरह था. फोन बम, नकली पासपोर्ट, उड़ती हुई कारें, जहर की सुई सब इस्तेमाल हुआ. जैसे जेम्स बांड किसी भी देश की परवाह नहीं करता मारते वक्त, उसी अंदाज में मोसाद एजेंटों ने कई देशों का प्रोटोकॉल तोड़ा. एजेंट मिडिल ईस्ट के कई देशों की सुरक्षा एजेंसियों में घुस गये थे. चुन-चुन के मारा गया अपराधियों को.
अपने टारगेट को निपटाने के पहले मोसाद टारगेट की फेमिली को बुके भेजता था. जिस पर लिखा होता था- ये याद दिलाने के लिये कि हम ना तो भूलते हैं, ना ही माफ करते हैं. मोसाद के एजेंटों ने हर टारगेट को 11 बार गोली मारी. मरे हुये 11 इजराइली खिलाड़ियों में से हर एक की तरफ से.
ये ऑपरेशन बीस साल तक चला. पूरे यूरोप में घूम-घूमकर मारा गया. इसी क्रम में नॉर्वे में एक वेटर गलती से मार दिया गया. इंटरनेशनल मीडिया में इसकी कड़ी निंदा हुई. मोसाद ने निंदा के बाद कई और मर्डर किये.
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