नीलम रत्न शनि ग्रह का रत्न है शनि ग्रह की स्तिथि के अनुसार निर्धारित किया जाता है कि इसको पहना जाए या नही। शनि एक अनुशासन व न्याय प्रिय ग्रह है और सूर्य के पुत्र है, मकर और कुम्भ राशि के स्वामी है, यदि नीलम आपके लिए लाभकारी होता है तो राजा बना सकता और न हो तो रंक भी बना सकता है नीलम अपना अशुभ प्रभाव अति शीघ्र दिखाता है इसलिए ऐसी मान्यता है कि नीलम धारण करने से पहले उसका परीक्षण करना चाहिए।
अपनी बाजू में 4-5 दिन बांध कर देखते है उसका प्रभाव और फिर निर्णय लेते है कि धारण कर सकते है के नही अगर आपका शनि ग्रह कुंडली मे मज़बूत स्तिथि में है तो आपको , विद्या, बुद्धि, भाग्य, धन धान्य, ऐश्वर्या आदि देता है और विशेष रूप से क्या देगा ये तब पता लगता है जब कुंडली मे शनि ग्रह की सही स्तिथि पता हो उस के आधर पर शनि का फल निर्धारित किया जाता है।
जिनकी कुंडली मे शनि, स्वराशि, उच्च राशि , मूल त्रिकोण राशि व मित्र राशि में स्थित है वो नीलम को धारण कर सकते है। मेष, वृष, तुला एवं वृश्चिक लग्न वाले, कुंडली मे शनि यदि चौथे, पांचवे, दसवें और ग्यारवें भाव में हो तो नीलम रत्न जरूर पहनना चाहिए। शनि मकर और कुम्भ राशि का स्वामी है। इनमें से दोनों राशियां अगर शुभ भावों में बैठी हों तो नीलम रत्न धारण करना चाहिए लेकिन अगर दोनों में से कोई भी राशि अशुभ भाव में हो तो नीलम रत्न नहीं पहनना चाहिए।
शनि की साढेसाती में नीलम रत्न धारण करना लाभ देता है। शनि की दशा अंतरदशा में भी नीलम रत्न धारण करना लाभदायक होता है। कुंडली में शनि वक्री, अस्तगत या दुर्बल अथवा नीच का हो तो भी नीलम रत्न धारण करके लाभ होता है। जिसकी कुंडली में शनि प्रमुख हो और प्रमुख स्थान में हो उन्हें भी नीलम रत्न धारण करना चाहिए |
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