भारत अक्सर कोई भी काम करने के लिए जुगाड़ से जाना जाता है.भारतीय किसी काम को आसान बनाने के लिए हमेशा जुगाड़ की तलाश में रहते हैं. अधिकतर भारतीय जुगाड़ से बहुत काम करते हैं मगर कई बार जुगाड़ से किया गया काम जानलेवा भी साबित हो जाता है.जब संसाधनों' का अभाव हो या वे बहुत महगें हों तो 'कामचलाऊ ढंग' से कुछ करके काम निकाल लेने को भी जुगाड़ कहते हैं.
ट्रेनों में भी कई बार जुगाड़ देखने को मिलता है ट्रेनों के जनरल डिब्बे में तो जुगाड़ की भरमार लगी रहती है जनरल डब्बे में बैठने की तो आप सोच नहीं सकते हैं आपको खड़े होने की जगह मिल जाए वह भी बहुत बड़ी बात है. अक्सर ट्रेनों में लोग गमछे का उपयोग करके उसको एक छोर से दूसरे छोर पर बांध देते हैं और उसी के अंदर अपना दिन और रात गुजार देते हैं इसे भी जुगाड़ के रुप में देखा जाता है. और यह जुगाड़ आरामदायक भी सिद्ध होता है.
कई बार देखा गया है कि खेतों में पानी वाला सिस्टम ना होने की वजह से ट्रैक्टर के इंजन से भी किसान लोग अपनी खेती करने के लिए सिंचाई भी जुगाड़ से कर लेते हैं.
आपको सड़कों पर तो ठेलिया तो देखने को मिलता ही होगा अब ठेलिया भी लोगोंने ब्रांडेड बना दिया है जो मोटरसाइकिल की कीमत लगभग आधी हो जाती है या उससे भी कम हो जाती है लोग सस्ते मोटरसाइकिल को खरीद लेते हैं और उसको जुगाड़ के रूप में पेश कर देते हैं मोटरसाइकिल को आधा करके ठेलिया में फिट कर देते हैं और अपने आप को निरहुआ समझकर ठेलिया चलाते हैं यह जुगाड़ भारत में बहुत ज्यादा प्रचलित है.
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