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दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण कई आपस में जुड़े हुए कारकों का परिणाम है:
1. भौगोलिक और मौसमी कारक:
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भूमि से घिरा स्थान: दिल्ली में प्रदूषण को दूर करने के लिए समुद्री हवा नहीं है और यह औद्योगिक राज्यों से घिरा है।
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सर्दी में तापीय उलटफेर: सर्दियों में ठंडी हवा गर्म हवा की परतों के नीचे फँस जाती है, जिससे प्रदूषक ऊपर उठकर फैल नहीं पाते।
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हवा की धीमी गति: शांत सर्दी की हवाएँ जमा हुए प्रदूषकों को साफ़ करने में विफल रहती हैं।
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थार मरुस्थल की धूल: राजस्थान से आने वाले धूल तूफान पीएम10 के स्तर में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
2. मौसमी प्रदूषण स्रोत:
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पराली जलाना: पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फसल कटाई के बाद पराली जलाने से अक्टूबर-नवंबर में 30-40% प्रदूषण आता है।
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दीवाली के पटाखे: दीवाली के दौरान पटाखे फोड़ने से प्रदूषण स्तर में अचानक वृद्धि होती है।
3. वर्ष भर के स्थानीय स्रोत:
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वाहन उत्सर्जन: 1 करोड़ से अधिक वाहन 40-45% प्रदूषण का कारण हैं, विशेष रूप से डीजल वाहन।
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औद्योगिक उत्सर्जन: थर्मल पावर प्लांट, ईंट भट्टे और एनसीआर में कारखाने विषैले प्रदूषक छोड़ते हैं।
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निर्माण धूल: नियंत्रण रहित निर्माण भारी धूल के बादल उत्पन्न करता है।
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सड़क धूल: खराब रखरखाव वाली सड़कें और खुली मिट्टी कणिकीय पदार्थ बढ़ाती हैं।
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कूड़ा जलाना: गाजीपुर जैसे कूड़े के ढेरों पर खुला जलाना विषैली धुआँ छोड़ता है।
4. सामाजिक-आर्थिक कारक:
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उच्च जनसंख्या घनत्व: तीव्र मानवीय गतिविधियाँ प्रदूषण स्रोतों को केंद्रित करती हैं।
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शहरीकरण: तेजी से विस्तार से निर्माण और यातायात बढ़ता है।
5. नीति और कार्यान्वयन में कमियाँ:
प्रदूषण रोधी उपायों के असंगत प्रवर्तन और पड़ोसी राज्यों के बीच क्षेत्रीय समन्वय की कमी समस्या को बढ़ाती है।