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भारत दुनिया भर में अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, व्यापारिक संबंधों और तकनीकी नवाचारों के लिए जाना जाता है। वर्षों से लाखों भारतीय नागरिक विभिन्न कारणों से विदेशों में बस गए हैं। इन्हें आमतौर पर NRI (Non-Resident Indian) कहा जाता है। NRI का मतलब होता है "अनिवासी भारतीय," यानी वे भारतीय जो भारत के बाहर रहकर कार्य करते हैं या स्थायी रूप से बसे हुए हैं।
इस लेख में, हम विस्तार से समझेंगे कि NRI किसे कहते हैं, उनकी कानूनी परिभाषा, उनके अधिकार, उनकी भारतीय अर्थव्यवस्था में भूमिका, और उन्हें मिलने वाले लाभ।
भारतीय संविधान के अनुसार, NRI वे भारतीय नागरिक होते हैं जो भारत से बाहर रहकर काम कर रहे होते हैं या स्थायी रूप से विदेश में बसे होते हैं। भारत सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, NRI की परिभाषा इस प्रकार है:
जो भारतीय नागरिक कम से कम 183 दिन या उससे अधिक समय तक विदेश में रहे हों।
जो विदेश में रोजगार, व्यापार, या शिक्षा के उद्देश्य से लंबे समय के लिए बसे हों।
जो किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त कर चुके हों, लेकिन भारतीय मूल के हों।
आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी वित्तीय वर्ष में 182 दिन या उससे अधिक समय तक भारत में नहीं रहता, तो उसे "अनिवासी" यानी NRI माना जाता है। इसका सीधा असर उनकी कर प्रणाली पर पड़ता है।
RBI के अनुसार, NRI वे भारतीय नागरिक होते हैं जो लंबे समय से विदेश में रह रहे हैं और जिनका भारत में बैंकिंग, निवेश, एवं वित्तीय गतिविधियों पर अलग नियम लागू होता है।
भारत सरकार विभिन्न प्रकार के अनिवासी भारतीयों को मान्यता देती है:
ऐसे लोग जिनका भारत में जन्म हुआ लेकिन वे पढ़ाई, रोजगार, या व्यापार के लिए दूसरे देशों में चले गए और वहां लंबे समय तक बसे हुए हैं।
PIO वे लोग होते हैं जिनके पूर्वज भारतीय थे, लेकिन उन्होंने किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त कर ली है।
OCI कार्ड धारक वे भारतीय होते हैं जिन्होंने भारतीय नागरिकता छोड़ दी लेकिन फिर भी भारत से जुड़े हैं और कुछ विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं। OCI भारतीय नागरिकता नहीं होती, लेकिन भारत में रहने और व्यापार करने के लिए उन्हें विशेष सुविधाएं मिलती हैं।
NRI को भारत में NRE (Non-Resident External) और NRO (Non-Resident Ordinary) खाते खोलने की सुविधा मिलती है।
वे FCNR (Foreign Currency Non-Resident) खाते भी खोल सकते हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, NRI विदेश से पैसे भारत में भेज सकते हैं और निवेश कर सकते हैं।
NRI को भारत में अर्जित आय पर टैक्स देना होता है, जैसे किराया, संपत्ति से आय, या अन्य स्रोतों से कमाई।
विदेश में अर्जित आय पर भारत में टैक्स नहीं देना होता।
भारत सरकार ने कई देशों के साथ DTAA (Double Tax Avoidance Agreement) किया है, जिससे NRI को दो देशों में टैक्स नहीं देना पड़ता।
NRI भारत में रिहायशी और व्यावसायिक संपत्ति खरीद सकते हैं, लेकिन कृषि भूमि, फार्महाउस, और प्लांटेशन नहीं खरीद सकते।
वे भारतीय शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं।
उन्हें भारत में व्यापार करने और स्टार्टअप शुरू करने की अनुमति है।
NRI को OCI कार्ड मिल सकता है, जिससे वे बिना वीज़ा के भारत आ सकते हैं।
वे भारतीय हवाई अड्डों पर विशेष सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं।
NRI भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वे हर साल अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा भारत भेजते हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
NRI भारतीय स्टार्टअप और उद्योगों में निवेश करते हैं।
वे भारत के रियल एस्टेट, आईटी, और हेल्थकेयर सेक्टर में प्रमुख निवेशक होते हैं।
NRI भारतीय त्योहारों और परंपराओं को विदेशों में बढ़ावा देते हैं।
वे भारतीय संस्कृति और विरासत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाते हैं।
NRI को भारत में संपत्ति खरीदने या बेचने में कई कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ता है।
भारत में दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है, जिससे NRI को अपनी भारतीय नागरिकता छोड़नी पड़ती है।
कई बार NRI को भारत के आयकर और बैंकिंग नियमों को समझने में कठिनाई होती है।
NRI भारत की अर्थव्यवस्था, सांस्कृतिक पहचान और व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें बैंकिंग, निवेश, और यात्रा की कई सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन वे कुछ कानूनी चुनौतियों का भी सामना करते हैं।
भारत सरकार समय-समय पर NRI के लिए नई योजनाएँ लाती है, जिससे वे देश से जुड़े रहें और भारत की प्रगति में योगदान दें।
NRI केवल विदेश में रहने वाले भारतीय नहीं हैं; वे भारत और दुनिया के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं। उनकी भूमिका भारत के आर्थिक और सांस्कृतिक विकास में बेहद महत्वपूर्ण है।
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