यूपी के हाथरस में क्या हुआ है? - letsdiskuss
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Abhishek Mishra

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यूपी के हाथरस में क्या हुआ है?


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जनता के भरोसे का कानूनी रूप से अंतिम संस्कार हुआ है

ये जो हाथरस पुलिस ने रात के अंधेरे में किया है ये पीड़िता का ही अंतिम संस्कार नही है। ये अंतिम संस्कार है जनता का पुलिस में विश्वास का.. न्यायिक प्रक्रिया की पहली सीढ़ी का.. आपकी और हमारी उम्मीदों का ।

वैसे तो समाज मे हो रही बलात्कार और इस प्रकार की घटनाओं के लिये खुद आप और हम भी कुछ हद तक जिम्मेदार है क्योंकि हम घटना हो जाने के बाद ही मोमबत्ती ढूंढते है। दिल्ली की सड़क पर अर्धनग्न पड़ी निर्भया को हम शॉल या कोई कपड़ा नही दे सकते है,किन्तु बाद में व्हाट्सअप पर निर्भया के न्याय के लिए DP जरूर लगाएंगे। आज हमारा समाज खुद अंधा, गूंगा और बहरा बना हुआ है। किन्तु इन सबसे इतर आज हम बात करेंगे पुलिस द्वारा की गई संवेदनहीनता की पराकाष्ठा की।

इस केस में पुलिस की कार्रवाई शुरुआत से ही गैर जिम्मेदाराना रही। कई दिनों तक केस दर्ज नही करना, उचित धाराएं ना लगाना, बाद में परिवारजनों के धरने के बाद धाराएं जोड़ना और अंत मे तो समाज की रक्षक पुलिस ने संवेदनहीनता की हदें ही पार कर दी। दशकों से पुलिस का व्यवहार हमारे देश में जनता के रक्षक का न होकर अपराधियो का पनाह देने का ही रहा है। पुलिस अधिकतर मामलों में दोनों पक्षो का “स्टेटस” देख कर ही व्यवहार करती है। गरीब पीड़ित को थाने से भगा दिया जाता है, FIR दर्ज नही की जाती है और अपराधियों को कुर्सी पर बैठाकर कर चाय पिलाई जाती है। ऐसा नही है कि सारा का सारा महकमा ऐसा ही है यदा कदा कई ईमानदार पुलिसकर्मियों की कहानियां भी सामने आती रहती है जो विभाग की लाज रख लेती और उम्मीद की लौ को बुझने नही देती। लेकिन आज आवश्यकता है पूरे देश के पुलिस विभाग में आमूलचूल सुधार की। कई पुलिसकर्मियों की भी अपनी समस्याएं होती है, विभागीय कमजोरियां होती है जिसकी वजह से वो अवसादग्रस्त रहते है लेकिन इस तर्क से पुलिस की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली को कतई न्यायसंगत नही ठहराया जा सकता है। कोई कारण नहीं बनता की पुलिस आने वाले फरियादी की रिपोर्ट दर्ज ना करे, और वांछित कार्यवाही ना करे या अपराधियो का बचाव करे।

ऐसे पुलिसकर्मियों पर कोई कार्रवाई न होना भी ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति का एक बड़ा कारण है। उन्हें सिर्फ तात्कालिक सस्पेंशन ही मिलता है जिस से उन्हें सिर्फ कुछ आर्थिक नुकसान ही होता है वो भी संभवतः असली अपराधियो द्वारा भरपाई कर दी जाती है । ऐसे आपराधिक गैर जिम्मेदाराना व्यवहार करने वाले पुलिसकर्मियों को न्यायपालिका द्वारा उचित सजा दी जानी चाहिये ताकि इंसाफ की शैशवावस्था में ही इसके ही रक्षकों द्वारा हत्या ना हो और न्यायपालिका में लोगों का विश्वास बना रहे।

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