प्राण प्रतिष्ठा समारोह एक ऐतिहासिक और पवित्र वैदिक अनुष्ठान था जो 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में नवनिर्मित भव्य श्री राम मंदिर में संपन्न हुआ। इस धार्मिक विधि में मुख्यतः राम लला (बाल रूप भगवान राम) की मूर्ति को विधिवत पूजा-अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चारण के माध्यम से दिव्य चेतना से आरोपित किया गया, जिससे वह भक्तों के लिए जीवंत देवता बन सकें।
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समारोह की विशेषताएं और महत्व:
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धार्मिक विधि: इस अनुष्ठान को सम्पन्न करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऋषि परंपरा का पालन करते हुए 11 दिनों तक विशेष साधना, शुद्धि और ध्यान अभ्यास किया। उन्होंने राष्ट्र के प्रतिनिधि के रूप में मुख्य पूजा संपन्न की, जिसमें श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रमुख आचार्यों, 4,000 से अधिक संतों-महात्माओं और धर्मगुरुओं की उपस्थिति थी। विशेष यज्ञ, मंत्रोच्चारण और हवन के माध्यम से मूर्ति में प्राण-प्रतिष्ठा की गई।
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ऐतिहासिक संदर्भ: यह समारोह 500 वर्षों से अधिक समय तक चले आ रहे राम जन्मभूमि आंदोलन का शिखर बिंदु था। 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे के विध्वंस, 2019 में उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले और 2020 में मंदिर निर्माण शुरू होने के बाद यह प्राण प्रतिष्ठा पूरे आंदोलन का पूर्णता का प्रतीक बनी।
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भव्य आयोजन: इस विशाल समारोह में देशभर से 7,000 से अधिक प्रमुख हस्तियों को आमंत्रित किया गया था, जिनमें प्रमुख संत सम्प्रदायों के प्रमुख, राजनेता, फिल्मी हस्तियां, खिलाड़ी, उद्योगपति और अन्य विशिष्ट अतिथि शामिल थे। सुरक्षा के कड़े प्रबंधों के बीच यह आयोजन संपन्न हुआ।
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राष्ट्रीय उत्सव: पूरे भारत में इसे 'दीपोत्सव' के रूप में मनाया गया। अयोध्या को 51 लाख से अधिक दीयों से सजाया गया, जो विश्व रिकॉर्ड बन गया। लाखों लोगों ने अपने घरों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थानों पर दीपक जलाकर इस ऐतिहासिक क्षण में सहभागिता की।