NRC - नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स
नागरिकता संशोधन बिल क्या है - जो बिल संसद से पास हुआ है, वह नागरिकता अधिनियम 1955 में बदलाव करेगा जिसके तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत आस-पास के देशों से भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी धर्म वाले लोगों को नागरिकता दी जाएगी | इस बात पर बवाल और विवाद का कारण यह है की बाकी धर्मों को भी इसका फायदा होना चाहियें |
नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजन्स विवाद का कारण यह है की असम में एनआरसी के ताजा ड्राफ्ट में 40 लाख से ज्यादा लोगों के नाम गायब है खबरों की मानें तो इसमें अधिकतर लोग वह हैं जो अल्पसंख्यक और अवैध बांग्लादेशी हैं।
जाने क्या है क्या है एनआरसी ड्राफ्ट?
1951 में नागरिकों तथा उनके घरों की गिनती के उद्देश्य से कार्यक्रम नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) चलाया गया था तब 80 लाख लोगों को वहां का नागरिक माना गया था। मगर असम में स्थायी नागरिक संगठनों की मांग रही है कि इस गणना को अपडेट किया जाए।
1985 में भी इस मांग ने जोर पकड़ा तब देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। लेकिन बाद में 2010 में पायलट प्रोजेक्ट के तहत राज्य के दो जिलों में एनआरसी अपडेट करने की प्रक्रिया शुरू हुई। हालांकि कुछ समूह इसके विरोध में उतर आए और विरोध में प्रदर्शन भी हुए। बारपेटा जिले में पुलिस को उग्र प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करनी पड़ी, इसमें 4 लोगों की मौत हो गई। तब नए सिरे से गणना के काम को रोक दिया गया। 2013-14 में सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देशों के बाद एनआरसी को अपडेट करने का काम फिर शुरू हुआ।
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