ईश्वर की परिभाषा क्या है? - letsdiskuss
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ईश्वर की परिभाषा क्या है?


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कहा जाता है मानो तो गंगा माँ है वरना बहता पानी | अगर साधारण से शब्दों में समझाऊ तो ईश्वर की कोई परिभाषा नहीं है यह मनुष्य का वो विश्वास है जो उस एक परम शक्ति पर है जिसको कभी किसी ने देखा ही नहीं केवल महसूस किया है | ईश्वर वह होता है जिसके लिए आप अटूट प्रेम और निष्ठा भाव रखते हो, जिसके लिए आप कुछ भी कर गुजरने के लिए हर वक़्त तैयार रहते है |
ऐसा प्रेम जो सच्चा हो जिसके लिए मन में कोई कालिख न हो जिसके प्रति आप हमेशा समर्पण और कोरा व्यवहार और विचार रखते हो बस वही है असली ईश्वर |
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ईश्वर के संबंध में महर्षि दयानन्द सरस्वती जी के विचार

चारों वेदों में ऐसा कहीं नहीं लिखा जिससे अनेक ईश्वर सिद्ध हों। किन्तु यह तो लिखा है कि ईश्वर एक है। देवता दिव्य गुणों के युक्त होने के कारण कहलाते हैं जैसा कि पृथ्वी, परन्तु इसको कहीं ईश्वर तथा उपासनीय नहीं माना है।जिसमें सब देवता स्थित हैं, वह जानने एवं उपासना करने योग्य देवों का देव होने से महादेव इसलिये कहलाता है कि वही सब जगत की उत्पत्ति, स्थिति, प्रलयकर्ता, न्यायाधीश, अधिष्ठाता है।

ईश्वर दयालु एवं न्यायकारी है। न्याय और दया में नाम मात्र ही भेद है, क्योंकि जो न्याय से प्रयोजन सिद्ध होता है वही दया से।



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