वैसे तो सफर कई बार किया है मगर कुछ सफर ऐसे होते हैं जो कभी ना भूलने वाले होते हैं अब आप उसे रोमांचक कह लें या कोई अकासमिक घटना कह ले.
मैं पंजाब के लुधियाना से लखनऊ ट्रेन से जा रहा था तत्काल जाने की वजह से ट्रेन में रिजर्वेशन का टिकट मिल पाना संभव नही था. जब ट्रेन में चढ़ा तब रिजर्वेशन वाले डिब्बे में बहुत भीड़ थी मैंने सोचा कि जनरल में तो जाया नहीं जा सकता.
जब रिजर्वेशन वाले डब्बे में इतनी भीड़ है मैं पीछे डब्बे की ओर गया वह विकलांग वाला डिब्बा था. मेरे साथ मेरा मित्र भी था विकलांग वाले डिब्बे मे भीड़ कम होने की वजह से हम दोनों उस डिब्बे में बैठ लिए. मगर हमें नहीं पता था कि वह डिब्बा हमारे लिए एक घटना का रुप धारण कर लेगा.सपने की तरह होगा स्टेशन आता है सहारनपुर..... सहारनपुर आते आते विकलांग वाला डिबबा भर जाता है.. डिबबा पीछे होने की वजह से स्टेशन बहुत पीछे छूट जाता था क्योंकि स्टेशन के पीछे बहुत कम भीड़ होती है जिस वजह से वहां पर बहुत कम भीड़ होती है.
अचानक 10 से 12 पुलिस वाले उस विकलांग डिब्बे में चढ़ते हैं और सभी लोगों को बाहर खींच खींचकर लेकर जाते हैं और लाठियों की बरसात कर देते हैं हम लोग डिब्बे के काफी पीछे बैठे थे वहां तक पुलिस का डंडा नहीं पहुंच पाता है 40 से 50 लोगों को पुलिस वाले उस विकलांग डिब्बे से उतारकर पुलिस स्टेशन ले जाते हैं पूरा डिब्बा विकलांग वाला खाली हो जाता है उसी डिब्बे में बैठे हम लोग भी उन लोगों में शुमार होते हैं. हम दोनों भी एक कतार में खड़े होकर पुलिस स्टेशन को चल देते हैं.सटेशन से पुलिस स्टेशन में मात्र 5 मिनट की दूरी होती है.
पुलिस स्टेशन जाते हैं और कहते हैं कि सब लोगों को कल सुबह जेल भेज देंगेयह सुनते ही सब लोग हक्के बक्के रह जाते हैं ..कि हमने कौन सी बहुत बड़ी गलती कर दी है इसी दौरान है कि पुलिसवाला आता है और हडकाते हुए कहता है.सब लोग कल जेल जाओगे सब लोग चिललाने लगते हैं भाई हम लोग गरीब हैं अपने गांव जा रहे हैं कृपया हमें छोड़ दीजिए...मगर मुझे पता था कि पुलिस वाले बाद में पैसे की मांग करेंगे और वह बात सच हो जाती है आधे घंटे बाद एक पुलिस वाला आता है और सब को कहता है कि 500 रुपये एक व्यक्ति से लिया जाएगा और उसे छोड़ दिया जाएगा. हम लोगों को कल सुबह पहुंचना ज्यादा जरूरी था क्योंकि हमने शादी में हिस्सा लेना था उसी समय एक व्यक्ति इंस्पेक्टर की ओर जाता है और उसे 500 रुपये देकर चलता बनता है हम लोग भी इंस्पेक्टर के पास जाते हैं और कहते हैं कि हमारे पास देने के लिए मात्र 800 हैं हालांकि पैसे हमारे पास थे मगर हम चाहते थे कि कम पैसे से काम चल जाए.. वह पुलिस वाला तुरंत चिल्ला कर बोलता है और कहता है कि आप दोनों जेल जाएंगे अगर आपने पैसे नहीं दिए तो.. एक तो हमारे पास समय की कमी थी और ऊपर से पुलिस की धमकी से डर भी लग रहा था हमने भी हजार रुपये दे दिए..क्योंकि हम दो लोग थे और हम लोग स्टेशन की ओर गए उसके बाद इस बात को हम दोनों सोचते ही रह गए आखिर यह कैसी आकस्मिक घटना घट गई समझ से बाहर है..
मैं इसे अपने रोमांचक यात्रा के रूप में समझता हूं क्योंकि इस घटना में रोमांच ज्यादा है और मुझे अपनी जिंदगी के अनुभव में सबसे ज्यादा अच्छा यही सफर लगा था क्योंकि यह पूरा माजरा फिल्मों से कम नहीं था.