कृष्ण और अर्जुन का क्या रिश्ता था? - letsdiskuss
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Aanya Singh

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कृष्ण और अर्जुन का क्या रिश्ता था?


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महाभारत को पढ़ना यह समझना बहुत ही दिलचस्प है। महाभारत में भारत का प्राचीन इतिहास दर्ज है।महाभारत का हर पात्र ऐसा है जिसके ऊपर अलग से ग्रंथ लिखा जा सकता है।महाभारत में सामाजिक नियमों का उल्लेख मिलता है, तो वहीं दूसरी ओर सामाजिक नियमों का उल्लंघन की अनेक घटनाएं मिलती हैं।महाभारत कालीन रिश्ते और उनके द्वंद्व, जिसमें छल, ईर्ष्या, विश्वासघात आदि बातों का उल्लेख मिलता है।इन सब के बीच में भगवान श्री कृष्णा और अर्जुन का रिश्ता  भी था जिसमें श्री कृष्णा और अर्जुन फुफेरे भाई थे। अर्जुन की माता का नाम कुंती था जो कृष्ण की हुआ थी। श्री कृष्ण अर्जुन के साले भी थे।जैसा कि आप सब जानते हैं कि श्री कृष्ण की बहन का नाम सुभद्रा था, जिनका विवाह अर्जुन से इस संबंध से अर्जुन श्री कृष्ण के जीजा लगते थे। इन सबके अलावा भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को बहुत प्रिय थे। क्योंकि वह एक धार्मिक प्रकृति के व्यक्ति थे, कर्म योगी, धर्म और वचन की रक्षा करने के लिए कई कष्टों का सामना किया, और युद्ध किया।अर्जुन भगवान श्री कृष्णा के अन्यय भक्त थे, पूर्णता: उन्हें समर्पित थे।श्री कृष्णा और अर्जुन के बीच का संबंध सखा के रूप में भी था।Letsdiskuss


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दोस्तों आप लोगों ने महाभारत तो पढ़ा होगा और टीवी में देखा भी होगा लेकिन क्या आप जानते हैं श्री कृष्ण और अर्जुन का क्या रिश्ता था यदि नहीं तो हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे। श्री कृष्णा और अर्जुन का रिश्ता फुफेरे भाई का था और साथ ही साथ साले का भी था।क्यूंकि अर्जुन की माता का नाम कुंती था जो की श्री कृष्ण की बुआ थी इस रिश्ते से अर्जुन और श्री कृष्णा फुफेरे भाई लगे। और श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन के साथ हुआ था और इस संबंध से श्री कृष्ण अर्जुन के साले लगे थे। श्री कृष्णा और अर्जुन एक सच्चे मित्र भी थे और दोनों के अंदर एक दूसरे के प्रति सच्ची भावनाएँ और साथ ही साथ कृष्ण ने हमेशा अर्जुन को सही मार्गदर्शन भी दिखाया था लेकिन अर्जुन और श्री कृष्णा अपने पिछले जन्म में नर और नारायण थे।

 

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दोस्तों चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे कि कृष्ण और अर्जुन का क्या रिश्ता था यदि आपको नहीं पता तो आप इस आर्टिकल को जरूर पढ़ें।

 

श्री कृष्ण अर्जुन के साले भी थे। जैसा कि आप सब जानते हैं कि श्री कृष्ण की बहन का नाम सुभद्रा था, जिनका विवाह अर्जुन से इस संबंध से अर्जुन श्री कृष्ण के जीजा लगते थे।और इन सबके अलावा भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को बहुत प्रिय थे। और अर्जुन भगवान श्री कृष्णा के अन्यय भक्त थे, पूर्णता: उन्हें समर्पित थे। श्री कृष्णा और अर्जुन के बीच का संबंध सखा के रूप में एक परम भक्त थे। और अर्जुन की माता का नाम कुंती था जोकि कृष्ण की बुआ थी इस संबंध से अर्जुन श्री कृष्ण के फुफेरे भाई थे। कृष्ण अर्जुन के साले थे - जैसे कि आप सभी जानते होंगे की कृष्ण की बहन का नाम सुभद्रा थी।जिनका विवाह अर्जुन से हुआ था।

 

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आप जानना चाहते हैं कि अर्जुन और भगवान श्री कृष्ण जी का रिश्ता क्या था तो चलिए हम आपको उनके रिश्ते के बारे में बताते हैं। वैसे तो अर्जुन और भगवान श्री कृष्ण जी का रिश्ता मित्रता का था। लेकिन उनके और भी रिश्ते थे जैसे की अर्जुन की माता कुंती, श्री कृष्ण जी की बुआ रिश्ते में लगती थी इसलिए इस नाते अर्जुन भगवान श्री कृष्ण जी के फुफेरे भाई लगे, इसके अलावा अर्जुन और भगवान श्री कृष्ण जी का एक रिश्ता और भी था जीजा और साले का क्योंकि भगवान श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन के साथ हुआ था, इसलिए अर्जुन भगवान श्री कृष्ण के जीजा भी लगे। इस तरह हमने आपको यहां पर अर्जुन और भगवान श्री कृष्ण जी के नाते के बारे में बताया है  यदि आपको जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारे आंसर को लाइक अवश्य करें।

 

 

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हिंदू पौराणिक कथाओं और महाभारत के पवित्र ग्रंथों में, कृष्ण और अर्जुन का गहरा और बहुआयामी संबंध था । भगवान विष्णु के अवतार माने जाने वाले कृष्ण ने कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान अर्जुन के सारथी और मार्गदर्शक के रूप में कार्य किया, जो चचेरे भाइयों के दो समूहों, पांडवों (अर्जुन सहित) और कौरवों के बीच एक महान लड़ाई थी । 

 

उनके रिश्ते को कई प्रमुख पहलुओं की विशेषता थी:

 

1. दोस्ती:

कृष्ण और अर्जुन ने दोस्ती का एक मजबूत बंधन साझा किया । वे न केवल रिश्तेदार थे, बल्कि करीबी दोस्त भी थे जो एक-दूसरे पर भरोसा करते थे और उनका समर्थन करते थे । 

 

2. सलाह:

कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान, कृष्ण ने अर्जुन के सारथी और आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में कार्य किया । उन्होंने अर्जुन को ज्ञान, मार्गदर्शन और नैतिक शिक्षा प्रदान की, जिसमें भगवद गीता के रूप में जाना जाने वाला पवित्र पाठ भी शामिल है, जिसमें गहन दार्शनिक और आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि शामिल है । 

 

3. दिव्य मार्गदर्शन:

अर्जुन ने कृष्ण को सर्वोच्च प्राणी के रूप में मान्यता दी और उनके दिव्य मार्गदर्शन और सुरक्षा की मांग की । युद्ध के मैदान में कृष्ण की उपस्थिति अर्जुन के लिए शक्ति और प्रेरणा का स्रोत थी । 

 

4. आध्यात्मिक जागृति:

उनकी बातचीत के माध्यम से, कृष्ण ने अर्जुन को अपनी शंकाओं, दुविधाओं और आंतरिक संघर्षों को दूर करने में मदद की, जिससे अंततः आध्यात्मिक जागृति और उद्देश्य की भावना पैदा हुई । 

 

महाभारत में कृष्ण की भूमिका बहुआयामी है, और अर्जुन के साथ उनका संबंध महाकाव्य में केंद्रीय विषयों में से एक है । उनकी बातचीत और की शिक्षाओं भगवद गीता हिंदू दर्शन और आध्यात्मिकता पर गहरा प्रभाव पड़ा है ।

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