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abhishek rajput

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किस मुस्लिम शासक के बेटी ने हिन्दू राजकुमार के प्यार में दे दी थी जान ?


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student | पोस्ट किया


अल्लाउद्दीन  की बेटी राजपूत योद्धा  के प्यार में पागल।।

देश में एक ओर जहाँ संजय लीला भंसाली की आने वाली फिल्म पर विवाद छाया हुआ है। वही इतिहास में एक ऐसा किस्सा दर्ज है जिसने अलाउद्दीन खिलजी की रातों की नींद उड़ा दी थी। अलाउद्दीन खिलजी को भारत के सबसे क्रूर और नृशंस मुस्लिम हमलावरों में से एक माना जाता है जिसने भारत के कई राज्यों में न केवल लूटपाट और नरसंहार किये बल्कि कई मंदिरों को ध्वस्त किया। अलाउद्दीन का सबसे अधिक नृशंस अभियान गुजरात का माना जाता है जिसमे उसने सोमनाथ को लूटकर सोमनाथ का मंदिर ध्वस्त कर दिया था

लेकिन अलाउद्दीन की रातों की नींद तब गायब हुई जब उसे पता चला की उसकी बेटी फिरोजा एक राजपूत योद्धा महाराज कान्हड़ देव के पुत्र वीरमदेव से प्रेम करती थी इसलिए अलाउद्दीन ने कान्हड़ देव के राज्य को नष्ट करने की योजना बनाई।

अपने गुजरात अभियान में सोमनाथ मंदिर ध्वस्त करने के बाद खिलजी की मुस्लिम सेना जालोर राज्य से जा रही थी जहाँ राजा कान्हड़ देव का शासन था। जालोर की सेना ने मुस्लिम सेना पर धावा बोल दिया और खिलजी की सेना हार गयी। इसके बाद एनुलमुल्क सुल्तान ने संधि करके कान्हड़ देव को दिल्ली आने का न्योता दिया।राजा कान्हड़ देव ने अपने पुत्र वीरमदेव को दिल्ली भेजा जहाँ उनकी भेंट खिलजी की बेटी फिरोजा से हुई। वीरमदेव देव को देख कर फिरोजा उन पर फ़िदा हो गयी और उन्हें प्रेम करने लग गयी।

फिरोजा का विवाह का प्रस्ताव राजकुमारी फिरोजा वीरमदेव पर इस कदर फ़िदा हो गयी थी की वो मन ही मन उन्हें अपना पति मानने लग गयी। वीरमदेव तब दिल्ली के दरबार में आने जाने लगे थे इसलिए फिरोजा ने वीरमदेव के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। पर वीरमदेव एक राजपूत थे और फिरोजा मुसलमान उसके बावजूद शहजादी ने किसी भी कीमत पर विरमदेव से विवाह करने तथा अपनाने कि जिद पकड ली।शहजादी कि हठ सुनकर दिल्ली दरबार मे कौहराम मच गया काफी सोच विचार के बाद अपना राजनैतिक फायदा देख बादशाह खिलजी इसके लिए तैयार हुआ शादी का प्रस्ताव जालोर दुर्ग पहुँचाया गया

वीरमदेव का साहसिक उत्तर
वीरमदेव ने जब खिलजी का प्रताव पढ़ा तो कहा
                                           “मामा लाजै भाटिया, कुल लाजै चौह्वान,
                                             जौ मै परणुँ तुरकणी तो पश्चिम उगे भान”
 (मतलब मेरे मामा भाटी वंश से है में खुद चौहान एक तुर्कन से कैसे शादी करू मेरा वंश अपवित्र हो जायेगा ऐसा तभी संभव है जब सूरज पश्चिम से उगेगा), ये सुनते ही खिलजी आगबबूला हो गया और उसने दिल्ली पहुँचते ही जालोर के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी।

खिलजी का जालोर पर आक्रमण 

अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली लौटते ही एक विशाल सेना लेकर जालोर के किले की घेराबंदी कर दी। अलाउद्दीन इससे पहले सोमनाथ के युद्ध के बाद जालोर से हार चूका था तब उसे सोमनाथ मंदिर की लुट का माल और शिवलिंग वापिस देना पड़ा था इसलिए उसने इस युद्ध मे जालोर के राजा कान्हड़ देव से बदला लेने की ठान ली। 

एक वर्ष तक खिलजी की सेना जालोर को घेर कर बैठी रही पर असफल रही तो अलाउद्दीन ने एकदहिया राजपूत को लालच देकर किले में घुसने का षड्यंत्र रचा। किले में गुप्त मार्ग से सेना घुसने लगी तो राजपूतो ने भी सामने आ कर साकका(रणभूमि में बलिदान)करने का मन बना लिया

प्रेम में सती हुई फिरोजा मात्र 22 वर्षीय योद्धा राजकुमार वीरमदेव भगवा बाना पहन कर युद्धभूमि में कूद पड़े और खिलजी की सेना में भगदड़ मचा दी। खिलजी की एक लाख की फ़ौज के सामने 15 हजार राजपूत पूरी शक्ति से लड़ते रहे पर अंत में वे हार गए और वीरमदेव को पकड़ कर उसका सिर काट दिया

उसका सिर थाली में रखकर जब फिरोजा के सामने रखा गया तो फिरोजा ने उससे फिर विवाह का प्रस्ताव रखा तो सिर अपने आप थाली से पलट गया। शहजादी अपने प्रण पर अडिग थी इसलिए वो वीरमदेव का सिर लेकर यमुना में कूद कर सती हो गयी। एक तुर्क मुस्लिम राजकुमारी एक हिन्दू राजकुमार के लिए इतनी पागल थी की उसने यमुना में कूद कर अपनी जान दे दी और वीरमदेव के साथ सती हो गयी।

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