अगर मुझसे पूछा जाये तो ,पहले में सिर्फ इतना जानना चाहता हूँ कि,कोई भी बॉस बने उससे आम जनता को क्या फायदा हैं ? क्योंकि मेरे हिसाब से तो कुछ नहीं ,कोई फायदा नहीं | देश में इतना कुछ हो गया ,बस यही रह गया था के अब ये सुनाई दे कि दिल्ली का बॉस कौन हैं ?
इतना कुछ हो रहा हैं हमारे देश में ,जहां भी देख लो बस बुरी और आतंकी ख़बर ही सुनने मिल रहीं हैं और यहाँ देश के नेता आपस में ही एक दूसरे से ये सवाल जवाब में लगे है कि दिल्ली का बॉस कौन ?
एक ख़बर के अनुसार - दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच काफी समय से चल रहीं परेशानी का आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया | सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (AAP) के नेतृत्व वाली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि उपराज्यपाल मंत्रीपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं |
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि " उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार को सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना होगा | उपराज्यपाल को यह महसूस करना चाहिए कि मंत्रिपरिषद लोगों के प्रति जवाबदेह हैं,और वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) की सरकार के हर निर्णय को रोक नहीं सकते हैं "
साधारण शब्दों में - ये सब राजनितिक बातें हैं,अगर आप जनता की भलाई के आधार पर जानना चाहें तो पता चलेगा कि दिल्ली का बॉस बनने लायक कोई नहीं ,क्योंकि बॉस बनकर भी अगर देश का भला नहीं कर सकते तो क्या करना ऐसा पद प्राप्त कर के
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