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महाराणा प्रताप अपने घोड़े को प्यार से बुलबुल कहते थे, लेकिन उनके घोड़े का वास्तविक नाम चेतक था।
कहा जाता है कि चेतक घोड़ा बहुत ही समझदार, वीर घोड़ा था। हल्दीघाटी के युद्ध के दौरान मुगल सेना से महाराणा प्रताप की जान बचाने के लिए चेतक 25 फीट ऊंचाई से कूद गया था।
हल्दीघाटी युद्ध मे घायल होने के कारण महाराणा प्रताप को रणभूमि छोड़नी पड़ी थी और अंत में इसी युद्धस्थल के पास चेतक घायल हो गया और उसकी मृत्यु हो गयी। आज भी चेतक का मंदिर रणभूमि मे बना हुआ है और उस जगह चेतक की पराक्रम कथा कहा जाता है
चेतक घोड़ा काफी उत्तेजित और फुर्तीला था और वह अपने मालिक महाराणा प्रताप को ढूंढ़ता था और चेतक ने महाराणा प्रताप को ही अपने स्वामी के रूप में चुना लिया था। महाराणा प्रताप और चेतक के बीच बहुत ही गहरा संबंध था।यदि देखा जाए तो महाराणा प्रताप भी चेतक को बहुत प्यार करते थे।
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