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मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही संरक्षण को प्राथमिकता दी थी| इसी के चलते फ्रांस के साथ राफेल विमानों की खरीदारी के बारे में सौदा भी हुआ था| वैसे यह सौदा कोई नई बात नहीं थी क्योंकि पिछली यूपीए सरकार ने भी यह सौदा किया हुआ था और उसके आगे प्रोसेस चल रही थी| मोदी सरकार ने पुरानी प्रोसेस खारिज करके नए सिरे से प्रोसेस की और कहा जाता है कि इस बार जो सौदा हुआ वह पहले से ज्यादा महंगा हुआ| सरकार इस बारे में अपना मुंह छुपा रही है|
सौजन्य: जागरण
कहीं ना कहीं कोई गड़बड़ी हुई है यह बात सही है और इसलिए शायद मोदी जी संसद में राफेल सौदे के बारे में कोई भी जानकारी देने से कतरा रहे हैं| कहा जाता है कि इस सौदे के चलते देश को विमानों की कीमत 35 हजार करोड़ से ज्यादा चुकानी पड़ेगी| जबकि पिछली सरकार ने जो सौदा किया था उसमें विमान की कीमत काफी कम थी| इतना ही नहीं इस सौदे में पता नहीं कहां से अनिल अंबानी की कंपनी जिसे विमान के बारे में कोई तजुर्बा नहीं है वह बीच में आ गई और उसके साथ डील हुई| इतना ही नहीं संरक्षण मंत्रालय ने भी इस पूरे मामले में देश की राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला बता कर चुप्पी साधी हुई है| कहा जाता है कि इस मामले में काफी बड़ा घोटाला हुआ है और अगर यह सामने आए तो पूरे देश में हड़कंप मच सकता है|
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