होली का नाम सुनते ही मथुरा और वृंदावन की होली का दृश्य सामने आता है | वैसे तो होली का त्यौहार सभी जगह खेला जाता है परन्तु मथुरा, वृंदावन में होली का अपना एक अलग महत्व है | बरसाने में लट्ठमार होली और फूलों से होली खेली जाती है | इसका भी अपना एक विशेष महत्व है | आइये बरसाने में लट्ठमार होली क्यों खेली जाती है जानते हैं |
मथुरा वृंदावन की होली जैसे पूरी दुनिया में प्रसिद्द है वैसे ही बरसाने की लट्ठमार होली भी पूरी दुनिया में काफी प्रसिद्ध है | होली का त्यौहार फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष को आता है जो कि नवमी के दिन बरसाने में लट्ठमार होली के रूप में मनाई जाती है | बरसाने में इस दिन के होली का नज़ारा देखने लायक होता है |
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इसके पीछे एक कहानी है, जैसा कि भगवान कृष्णा का जन्म मथुरा में हुआ और वह बचपन से ही चंचल स्वभाव के माने गए हैं | भगवान कृष्णा अपने साथियों के साथ होली खेलने के लिए राधा के गाँव बरसाने में जाया करते थे और वहां राधा और उनकी सहेलियों के साथ होली खेलते और ठिठोली करते थे | जिसके बदले में राधा और उनकी सहेलियां उन पर डंडे बरसाती थी और उससे बचने के लिए कृष्णा और उनके साथी अपने आपको किसी चीज़ से छुपाते थे | यह प्रथा आज भी चली आ रही है और आज भी बरसाने में हर होली में यही होता है |
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