ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि समुंदर मंथन राक्षसों और देवताओं ने मिलकर संपन्न किया था। इस मंथन में 14 रतन निकल कर समुंदर में से बाहर आए। जो इस प्रकार हैं कालकूट विष, कामधेनु, उच्चैश्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, रंभा अप्सरा, वारुणी देवी, देवी लक्ष्मी, चंद्रमा, पारिजात वृक्ष, पांचजन्य शंख, कल्पवृक्ष, भगवान धन्वंतरि व अमृत कलश। सभी रत्नों का अपना खास महत्व था, इन रत्नों को विभिन्न देवताओं ने ग्रहण किए व धारण किए।
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