हिन्दू मुस्लिम, दो ऐसे धर्म जो एकदूसरे को इंसान समझने से ज्यादा जरूरी 'हिन्दू-मुस्लिम' समझते हैं । हालाँकि प्रश्न में बाबरी मस्जिद का ज़िक्र है परन्तु मेरा जवाब मुख्य रूप से हिन्दुओ को मुसलमानो से होने वाली "परेशानी' के ऊपर है । हिन्दुओ का दृष्टिकोण इसलिए क्यूंकि मै स्वयं हिन्दू हूँ और अक्सर उन हिन्दुओ से घिरी रहती हूँ जिन्हे हर मुस्लिम या कहूं पाकिस्तानी आतंकवादी नज़र आता है । पाकिस्तानी मैंने इसलिए कहा क्यूंकि भारतीय होने के बावजूद भारत के हिन्दू मुसलमानो को पाकिस्तानी कहने से नहीं चूकते, बिलकुल वैसे ही जैसे वह पूर्वी भारत के लोगों को चीनी या नेपाली कहकर बुलाते हैं ।

भारतीयों को किसी भी मुद्दे पर मुसलमानो से परेशानी होने के पीछे केवल एक कारण है - धर्म । आज 21वी सदी मै पहुंचकर, पढ़ लिखकर उन्मुक्त विचार हो जाने पर भी लोगों को इंसानियत से ज्यादा धर्म नज़र आता है । मुझे यह तो नहीं पता कि सभी मुस्लिम लोग क्या सोचते हैं परन्तु जिन मुस्लिमो के साथ मैंने वक़्त बिताया है, जोकि अधिकतर मेरे दोस्त हैं, किसी की भी सोच ऐसी नहीं है । वह मुस्लिम हैं परन्तु पाकिस्तानी नहीं हैं । वह भी भारत माता की जय कहते हैं, लड़ते झगड़ते हैं परन्तु धर्म के नाम पर नहीं, आज़ान करते हैं परन्तु हिंदी धर्म और रीति रिवाजों का मज़ाक नहीं बनाते । यह सब शायद पढ़े लिखे होने की निशानी है या शायद उस समझ की भी जो शायद पढ़े लिखे होने के बावजूद भी लोगों में नहीं आती ।

मुसलमानो की बात कर ही रहे हैं तो चलिए पाकिस्तान पर आते हैं । पाकिस्तान में आतंकवादी होते जरूर हैं परन्तु वहाँ हर कोई आत्रंकवादी नहीं हैं । पाकिस्तान बिलकुल वैसे ही आतंकवाद से घिरा रहता हैं जैसे अफ़ग़ानिस्तान या सीरिया । पाकिस्तान में भी आम लोग रहते हैं जिनका जीवन इस आतंकवाद के कारण खत्म हो जाता है, ऐसे लोग भी हैं जो भारत के द्वारा हुई बमबारी में मर जाते हैं । मनुष्य तो वह भी हैं, फर्क केवल इतना है कि वह सरहदों के पार हैं और धर्म में विपरीत हैं । पाकिस्तानी तो चलिए दूसरे देश के लोग हैं परन्तु भारत में रह रहे मुसलमानो से कैसा बैर ?
असली परेशानी हैं दिमाग मै मौजूद गन्दगी जो आपकी आँखों और बुद्धि पर ऐसा पर्दा बिछा देती है जिससे व्यक्ति को किसी के दुःख दर्द से पहले उसका धर्म नज़र आता है । भारत में हिन्दू मुस्लिम विवाद केवल इसलिए हैं क्योंकि राजनीति, धर्म और साम्प्रदायिकता की जड़ें यहाँ बहुत गहराई तक फैली हुई हैं । यह जड़ें उन पेड़ों की हैं जिनके फलों कि कड़वाहट ने व्यक्ति को इंसानियत से बढ़कर धर्म का रक्षक बना दिया है ।