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pravesh chuahan,BA journalism & mass comm | पोस्ट किया |


विदेशी विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकाला है कि होम क्वारंटाइन सबसे अच्छा क्वारंटाइन है


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pravesh chuahan,BA journalism & mass comm | पोस्ट किया


घर में एकांतवास अच्छा विकल्प हो सकता है इसका मतलब यह नहीं कि होम क्वॉरेंटाइन को हम अच्छा विकल्प मान कर जो प्रदेशी लोगों को 14 दिनों के लिए क्वॉरेंटाइन किया जा रहे हैं. वह भी करना बंद कर दें. बिहार सरकार ने ऐसा ही फैसला लिया है ऐसे हालातों में इस तरह का फैसला लेना यह सरकार को भारी पड़ सकता है बिहार में मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा तब बढी है जब प्रवासी मजदूर अपने अपने गांव को लौटे हैं.....

बिहार सरकार का कहना है कि प्रदेश लौटने वाले प्रवासियों का पंजीकरण या उन्हें क्वारंटाइन नहीं किया जाएगा इसके अलावा रेलवे स्टेशनों पर थर्मल स्क्रीनिंग को भी बंद करने की तैयारी है, लेकिन हर स्टेशन पर मेडिकल सुविधा होगी ताकि लोगों को इलाज में आसानी हो सके.

सरकार ने ये फैसला ऐसे समय में लिया है जब बिहार लौटने वाले कई प्रवासियों को कोविड-19 की पुष्टि हुई है. सोमवार तक प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 3945 हो चुकी है. इसमें 2743 प्रवासी है जो तीन मई के बाद बिहार लौटे हैं.इनमें महाराष्ट्र से लौटने वाले प्रवासियों में 677 को कोरोना की पुष्टि हुई है. इसके अलावा अन्य राज्यों से लौटे जिन प्रवासियों को कोरोना की पुष्टि हुई है उनमें दिल्ली के 628, गुजरात के 405 और हरियाणा के 237 लोग शामिल हैं.

मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विदेशी विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकाला है कि होम क्वारंटाइन सबसे अच्छा क्वारंटाइन है. फिर भी हमने प्रवासियों को हर तरह की सुविधाएं दी हैं, जिसमें ट्रेन और बस किराए की भरपाई और 1,000 रुपए मूल्य की आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं.

घर में एकांतवास होना यह बात वही व्यक्ति कह सकता है जो व्यक्ति अमीर होगा और उसके घर में कई कमरे होंगे.नहाने का अलग कमरा,सोने का अलग कमरा, खाने का अलग कमरा, खेलने का अलग कमरा, जिस वजह से उसको लगता होगा कि वह घर में करंटाइन हो सकता है.मगर सोचिए हमारी भारत की आबादी अधिकतर मध्यमवर्ग की है.कई लोगों के पास रहने के लिए तो घर नही होता.

विदेशी विशेषज्ञों का मानना ठीक है कि घर में करंटाइन होना अच्छा विकल्प हो सकता है मगर उन विशेषज्ञों ने अपने वहां की स्थिति को बताया है. विदेशी लोगों की स्थिति हम भारतीयों से कई गुना अच्छी है.वहां पर लोगों के पास घर नाम का नहीं है घर में कई कमरे हैं.भारत में कई लोगों के पास रहने के लिए घर के नाम पर मात्र एक कमरा ही होता है जिसमें परिवार के सभी सदस्य शामिल होते हैं विदेशी विशेषज्ञों की यह बात बिहार सरकार द्वारा मानना अपने पैरों में कुल्हाड़ी मारने जैसा है.

बिहार सरकार को सबसे पहले अपने राज्य को देखना चाहिए जिस राज्य के लोग बाहर कमाने के लिए रोजी रोटी के लिए जाते हैं. क्या नितीश कुमार का राज्य विदेशी विशेषज्ञ की बात को अमल करने लायक हैं. राज्य के लोगो को एकांतवास रहने के लिए 10 कमरे तो घर में होंगे नहीं.रहने के लिए अच्छा घर ही हो जाए यह बहुत बड़ी बात होगी. अगर घर में एकांतवास कोई होता है तो सबसे बड़ी समस्या अगर वह व्यक्ति क्रोना संक्रमित होगा उसके साथ साथ उसका पूरा परिवार भी संक्रमित होगा.बिहार सरकार को दोबारा से अपने फैसले पर विचार करना चाहिए ताकि कोविड-19 के मरीजों की तादाद बिहार में ना बढे.
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