जब भी हिन्दू धर्म में को पूजन या शुभ काम होता है, शंख जरूर बजाया जाता है । कई लोग अपने घर में भी शंख रखते हैं और इसका पूजन किया जाता है । हिंदु धर्म के अनुसार शंख समुद्र मंथन के दौरान प्राप्त हुए 14 रत्नों में से एक है । इसलिये इसको बहुत शुभ माना जाता है और इसकी ध्वनि लाभकारी मानी गई है ।
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ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार :
शंख को चंद्रमा और सूर्य के समान पूज्यनिय माना गया है, क्योंकि इसके मध्य भाग में वरुण, पहले भाग में ब्रह्मा और आखिर के भाग में देवी गंगा और सरस्वती का वास होता है |
ॐ का उचारण :
हिन्दू धर्म के अनुसार, शंख बजाने से ॐ श्ब्द की ध्वनि का उच्चारण होता है। पुराणों के अनुसार भगवान के द्वारा की गई उत्पत्ति में ॐ शब्द का निर्माण सबसे पहले किया था। इसलिए हर शुभ अवसर पर शंख-ध्वनि की जाती है।
बुराई पर अच्छाई की जीत :
भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के युद्ध से पहले शंख बजाया था जो युद्घ में एक महान परिवर्तन लेकर आया था। इसलिए शंख को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है।
जैसा कि हिन्दू धर्म में जीवन के चार पुरुषार्थ हैं- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। और शंख को धर्म का प्रतीक माना जाता है।
पूजा के समय शंख बजाने का मनोवैज्ञानिक कारण यह माना जाता है कि आसपास के शोर से जो भक्तों के मन और मस्तिष्क भटकता है, वह शंख की तीव्र ध्वनि से दब जाता है और लोग एकाग्र होकर पूजन में ध्यान लगाते हैं |
तो ये हैं शंख रखने के कुछ महत्व जिसको हिन्दू धर्म में माना गया है |