वर्तमान समय में जिस प्रकार सभी चीज़े मॉडर्न शब्द का शिकार हो रही है वही हमारे किचन में भी खाना बनाने का तरीका भी बदल गया है जैसे कुछ समय पहले तक खाना पकाने में मूंगफली, सरसों और तिल के तेलों जैसे कई शुद्ध तेलों का इस्तेमाल किया जाता था लेकिन वो चिपचिपे होते थे और उनमें गंध भी आती थी इसलिए फिर दौर आया रिफाइंड तेल का, जो चिपचिपा होने की बजाए हल्का होता है और उसमें गंध भी नहीं आती इसलिए ऐसा मन जाता है की हर तरह से सेहत के लिए रिफाइंड तेल ही सबसे अच्छा है|
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इसलिए आज आपको बताएँगे की रिफाइंड तेल बनने के पीछे क्या विधि है |
किसी भी तेल को रिफाइन करने के लिए उसमें 6 से 7 केमिकल्स मिलाये जाते हैं और उसके बाद डबल रिफाइन करने के लिए कम से कम 12 से 13 केमिकल्स मिलाये जाते हैं और आपको बता दूँ की यह केमिकल्स आर्गेनिक नहीं होते हैं बल्कि नुकसानदायक होते हैं क्योंकि इसमें कास्टिक सोडा, फॉस्फेरिक एसिड, ब्लीचिंग क्लेंज जैसे केमिकल मिक्स होता है | इस तरीके से हमारे किचन में इस्तेमाल होने वाला रिफाइंड तेल खाने के लिए तैयार किया जाता है |