हमारे भारतीय समाज में यह प्रथा चली है कि जब भी महिला कोई काम करना रहता है तो वह सबसे पहले अपने पिता या पति की इजाजत जरूर लेती है।ज़ब ससुराल मे उसका पति उस काम क़ो करने इजाजत देगा, तभी पत्नी उस काम क़ो करती है। वही भारतीय समाज में पुरुषों को किसी भी कार्य क़ो करने क़े लिए किसी महिला से इज़ाज़त लेने की जरूरत तो नहीं होती है तो फिर हर महिलाओं के साथ ऐसा क्यों होता है कि वह अपने पति क़े इज़ाज़त क़े बिना कुछ नहीं कर सकती हैं।जबकि पुरुषों का जो मन करता है वह करते है, पुरुष किसी की इजाजत लेना जरूरी नहीं समझते है। फिर महिलाओं को भी अपनी मर्जी काम करने पूरी तरह से आज़ादी होनी चाहिए, लेकिन हमारे भारतीय समाज मे केवल महिलाओ क़े लिए ही नियम बनाया गया है, हर बार उन्हें कही घूमने जाना है, तो वह अपने पति से पूछेगी या फिर अपने सास, ससुर से इजाजत लेगी। ऐसी प्रथा केवल महिलाओ क़े लिए ही नहीं बल्कि पुरुषो पर भी लागू होनी चाहिए।
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महिलाओ क़ो कही घूमने जाना होता है, तो वह अपने बिना इजाजत क़े घर से बाहर कदम नहीं रख सकती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योकि महिलाओ क़ो बेवस, लाचार समझा जाता है। क्योंकि महिलाये पिंजरे मे पक्षी की तरह कैद होती है, उनका पति और ससुराल वाले घूमने जाने की परमिशन देते है, तो ठीक है, वह पिंजरे मे ही कैद रह जाती है।
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ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनके पति यह समझते है, कि हमारी पत्नी हमारे ही पैसो पर पलती है और हम जो बोलेगे वह वही करेगी, इसलिए पति हमेशा अपनी पत्नी क़ो अपने पैर क़े नीचे दबाकर रखते है। इसलिए पत्नी हमेशा कही घूमने जाने से पहले पति की एक बार इजाजत जरूर लेती है। यदि उसका पति घूमने जाने की इजाजत दे देता है, तो वह घूमने चली जाती है, वरना कही घूमने नहीं जाती है।