भगवान श्री कृष्णा के कई नाम हैं, उसमें से एक नाम "रणछोड़" भी है | भगवान श्री कृष्णा का नाम "रणछोड़" क्यों पड़ा इसके पीछे एक कहानी है | जो आपको बताते हैं |
जैसा कि कंस और कृष्णा के बीच क्या रिश्ता है, ये सभी जानते हैं | कंस की दो पत्नियां थी अस्ति और प्राप्ति | अस्ति का अर्थ "है" और प्राप्ति का अर्थ "होगा" | यह दोनों कंस की पत्नी थी जो अपने पति कंस की व्याकुलता को लेकर काफी परेशान थी | जिसके लिए उन्होंने अपने पिता जरासंध से कृष्णा को मारने के लिए आग्रह किया |
जरासंध ने
कृष्णा पर हमला कर दिया और हार गया, ऐसे ही जरासंध ने 17 बार कृष्णा पर हमला किया और 17 बार हार गया | अब 18 बार हमला करने से पहले जरासंध ने 11000 पंडितों से हवन पूजन करवाया और कहा कि अगर यह युद्ध मैं जीत गया तो आप सभी को इतना धन दूंगा कि आपको पूरी उम्र कुछ काम करने की जरूरत नहीं होगी और अगर मैं युद्ध हार गया तो सभी पंडितों को फ़ासी पर लटका दूंगा | यह सुनते ही सभी पंडितों ने भगवान कृष्णा से आग्रह किया कि हे गोपाल अब आप ही हमारी रक्षा कर सकते हैं |
जैसे ही जरासंध युद्ध के लिए आया तो भगवान कृष्णा ने बलराम से कहा भैया हमें इस युग से भाग जाना चाहिए और हमें इस रण को छोड़ देना चाहिए | बलराम ने कहा नहीं कृष्णा ऐसा नहीं हो सकता हम चन्द्रवंशिया है | पर कृष्णा ने बड़े ही धैर्य से अपने भाई को कहा हज़ारों जान बचाने के लिए रणछोड़ बन जाना कोई बुराई नहीं है, और भगवान कृष्णा ने रण छोड़ दिया उस दिन से भगवान कृष्णा को "रणछोड़" कहा जाने लगा |
(Courtesy : Punjab Kesari )