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Sks Jain

@ teacher student professor | पोस्ट किया |


मर्द रोते नहीं, क्या यह कथन सही है?


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Occupation | पोस्ट किया


मर्द रोते नहीं इस कथन सही है क्योकि मर्दो के अंदर भी दिल होता है लेकिन वह औरतों की तरह बात -बात पे नहीं रोते है क्योकि उन्हें दिखवा करना नहीं आता है, मर्द अंदर ही अंदर भावुक हो जाते है और अंदर ही अंदर रो लेते है वह किसी क़ो दिखाने के लिए किसी के सामने नहीं रोते है। मर्द आपने आपको अंदर से कठोर करके रखते है ताकि वह ख़ुद क़ो संभालकर रख सके इसलिए वह नहीं रोते है।

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student | पोस्ट किया


लड़के कम उम्र से ही सीख जाते हैं कि सार्वजनिक रूप से एक आंसू भी बहाने से वे कमजोर दिखने लगेंगे। फिर भी रोना काफी मर्दाना हुआ करता था।


मर्दानगी के हमारे सबसे मजबूत विचारों में से एक यह है कि एक असली आदमी रोता नहीं है। यद्यपि वह एक अंतिम संस्कार में एक विवेकपूर्ण आंसू बहा सकता है, उससे उम्मीद है कि वह जल्दी से नियंत्रण हासिल कर लेगा। खुलेआम रोना लड़कियों के लिए है।
यह सिर्फ एक सामाजिक अपेक्षा नहीं है। एक अध्ययन में पाया गया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में काफी अधिक रोने की रिपोर्ट करती हैं - औसतन पांच गुना, और प्रति एपिसोड लगभग दोगुना।

तो शायद यह जानकर आश्चर्य होगा कि रोने में लिंग अंतर हाल ही में हुआ है। ऐतिहासिक रूप से, पुरुष नियमित रूप से रोते थे, और किसी ने इसे स्त्री या शर्मनाक के रूप में नहीं देखा। उन्होंने रोने के इन महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभों का भी लाभ उठाया।

उदाहरण के लिए, मध्य युग के इतिहास में, हम देखते हैं कि फिलिप द गुड को संबोधित करते समय एक राजदूत बार-बार आंसू बहाता है, और एक शांति सम्मेलन में पूरे दर्शक खुद को जमीन पर फेंकते हैं, सिसकते और कराहते हैं क्योंकि वे भाषण सुनते हैं।

मध्ययुगीन रोमांस में, शूरवीर पूरी तरह से रोते थे क्योंकि वे अपनी गर्लफ्रेंड को याद करते थे। Chrétien de Troyes के Lancelot, या, The Knight of the Cart में, लैंसलॉट की तुलना में किसी नायक से कम नहीं, गिनीवर से एक संक्षिप्त अलगाव पर रोता है। एक अन्य बिंदु पर, वह एक महिला के कंधे पर यह सोचकर रोता है कि उसे अपनी कैद के कारण एक बड़े टूर्नामेंट में जाने का मौका नहीं मिलेगा। क्या अधिक है, इस छींटाकशी से निराश होने के बजाय, महिला मदद के लिए आगे बढ़ी है।

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Student | पोस्ट किया


मर्द रोते नहीं यह कथन सत्य है। परंतु मर्द के मन में भी संवेदनाएं होती हैं। जो कभी प्यार कभी गुस्सा और कभी आंसुओं आदि के रूप में बाहर आती है। परंतु इसका मतलब यह नहीं की मर्द कमजोर होते हैं। और इसका यह अर्थ कदाचित भी नहीं है कि औरतें कमजोर होती हैं। प्यार, गुस्सा, आंसू आदि सब मानव मन के भाव होते हैं जो समय-समय पर बाहर आते रहते हैं। और मेरी नजर में एक असली मर्द वही है जो रोता नहीं अपितु अन्य लोगों को रूलाता नहीं । आज समाज में व्याप्त कई कुरीतियां है। जिनमें से महिला असुरक्षा भी एक है। तो असली मर्द वही है जिसकी वजह से किसी महिला को रोना ना पड़े।

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यह कथन बिल्कुल असत्य है की मर्द नहीं रोते हैं उनके सीने के अंदर दिल होता है उनकी भी भावनाएं होती है तो क्या वे रो नहीं सकते हैं अक्सर आपने देखा होगा कि औरतें ज्यादा रोती है लेकिन आपने मत को बहुत कम ही रोते देखा होगा इसकी वजह यह है कि लड़के बचपन से ही अपने आप को ऐसा कठोर बना लेते है कि उन्हें छोटी-छोटी बातों में रोने दिखावा ना करना हो लेकिनवे भी अंदर ही अंदर रोते हैं। लेकिन कुछ लोग मर्दों का रोना मर्दों की कमजोरी मानते हैं इसलिए वे किसी के सामने रोते नहीं है।Letsdiskuss


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मर्द रोते नहीं यह कथन सत्य नहीं है। मर्द रोते हैं लेकिन वह किसी को दिखाई नहींदेता है।वो अंदर ही अंदर रोते हैं। लेकिन हां जल्दी नहीं रोते हैं लड़कियों के जैसे की लड़कियां जल्दी रोने लगती है। मर्द रोने का दिखावा नहीं करते हैं। अक्सर आपने देखा होगा कि जब कभी आपके घर में कोई बड़ी मुसीबत पड़ जाती है तो औरतें रोती और मर्द नहीं रोते है क्योंकि उन्हें पता है कि यदि मैं रो दूंगा तो मेरे घर वालों को कौन संभालेगा और वह अंदर ही अंदर घुटते रहता है। रोते रहता है। मर्द के ऊपर कई सारी जिम्मेदारियां का बोझ होता है और वह उन्हें हंसी खुशी निभाने के लिए तैयार रहता है इसके लिए उसे घर वालों से दूर भी जाना पड़ता है और वह अंदर ही अंदर दुखी रहता है पर किसी को यह एहसास नहीं दिलाता कि वह दुखी है अंदर ही अंदर रो रहा है।Letsdiskuss


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मर्द रोते नहीं है यह कथन उतना सही नहीं है, बल्कि मर्दो का दिल कठोर होता है। ऐसी बातें मर्द ही करते है कि वह कभी रोते नहीं है, लेकिन चुपके से हर रोज मर्द भी रोते हैं,उनका दिल भी टूटता है। चोट मर्दो क़ो भी लगती है, मर्दो क़ो भी दर्द होता है ,मर्दो का दिल किसी की याद में तो कभी किसी के प्यार में जरूर टूटता है। लोग ये न बोल सके,ये मर्द होकर रोता है ,मर्दों को कहाँ दर्द होता है।


लेकिन सच तो यह है कि मर्द है उसे भी दर्द कही न कही किसी न किसी बात पर होता होगा।

मर्द अपनों के लिया चैन से कहाँ सोता है,काम के खातिर जब मर्द घर से दूर जाता है तो उसे तकलीफ होती है।माँ की याद हर रोज आती,लेकर उसके सिर पर जिम्मेदारी पूरे घर की होने से वह भी मुस्कुराता।
कभी जिम्मेदारियों के बोझ से मर्द का पीठ भी दुखता है, लेकिन मर्द कभी किसी क़ो अपना दर्द नहीं दिखाता।

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student | पोस्ट किया


हाय यह कथन बिल्कुल गलत है, मरते भी रोते हैं दर्द होने भी होता है कुछ भावनाएं उनकी भी होती है, दिल उनके पास भी होता है, वो भी मोह माया मै बंधे होते है, एक मर्द कभी किसी को अपना दर्द जातात नही कभी दिखाता नही उसे रोना आता है

होंठों पे मुस्कान लिए सीने मैं दर्द का तूफान लिए

चलता ही जाता है दुसरो की खुशी के लिए अपनी खुशी का बलिदान दिये ❤Letsdiskuss





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कौन कहता है कि मर्द रोते नहीं मर्द भी रोते हैं क्योंकि उनके सीने में भी दिल होता है। लेकिन मर्द किसी के सामने नहीं रोते बल्कि अपना दर्द अपने दिल में छुपा कर रखते हैं। बहुत से लोगों का कहना है कि मर्द का दिल कठोर होता है। उन्हें दर्द नहीं होता है तो मैं आपको बता दूं कि आपकी सोच बिल्कुल गलत है। मर्द और औरत में बस इतना फर्क है कि मर्द अपने आंसुओं को छुपा कर रखता है और महिलाएं अपने दर्द को छुपा नहीं पाती है। फिर महिलाएं सबके सामने रोने लगती है। आपने देखा होगा कि जब मर्द काम करने के लिए अपना घर छोड़कर बाहर जाता है तो उसके आंखों आंसू भरे रहते हैं लेकिन वह अपनी आंखों से आंसू छलकने नहीं देता है। लेकिन अंदर ही अंदर बहुत रोता है। मर्द को अपने परिवार की चिंता रहती है इसलिए अपने आंसुओं को छुपा कर रखता है।Letsdiskuss


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