जैसा की नाम से समझ आता है राज + योग ,जिसका मतलब ही है ऐसा योग बने जब इंसान राज करे | राजयोग जिसके नाम से ही मनुष्य के मन मे खुशी का एहसास होता है | राजयोग आपके ग्रहो की दशाओ से आता है | जब आपकी ग्रहो की दशा आपको राजयोग की और ले जाए तब समझिये आपका राज योग शुरू |ज्योतिष की दृष्टि में राजयोग का अर्थ है -ऐसा योग है जो राजा के समान सुख प्रदान करे | हम सभी जीवन में सुख की कामना करते हैं परंतु सभी के भाग्य में सुख नहीं लिखा होता है | कुण्डली में ग्रहों एवं योगों की स्थिति पर सुख दुख निर्भर होता है | राज योग भी इन्हीं योगों में से है जो जीवन को सुखी बनाता है |
राजयोग कोई विशिष्ट योग नहीं है यह कुण्डली में बनने वाले कई योगों का प्रतिफल है | कुण्डली में जब शुभ ग्रहों का योग बनता है तो उसके आधार पर राजयोग का आंकलन किया जाता है | इस ग्रह के आंकलन के लिए लग्न के अनुसार ग्रहों की शुभता, अशुभता, कारक, अकारक, विशेष योगकारक ग्रहो को देखना होता है साथ ही ग्रहों की नैसर्गिक शुभता/अशुभता का ध्यान रखना होता है | राज योग के लिए केन्द्र स्थान में उच्च ग्रहों की उपस्थिति, भाग्य स्थान पर उच्च का शुक्र, नवमेश एवं दशमेश का सम्बन्ध बहुत महत्वपूर्ण होता है |
कैसे जाने राजयोग :-
-जिस व्यक्ति की हथेली के मध्य भाग में घोड़ा, घड़ा, पेड़ या स्तम्भ का चिह्न हो, वह राजसुख करता है। ऐसे लोग किसी नगरसेठ के समान धनी होते हैं।
-जिस व्यक्ति का ललाट (माथा) चौड़ा और विशाल हो, नेत्र सुन्दर, मस्तक गोल और भुजाएं लंबी होती हैं, वह व्यक्ति भी राजसुख प्राप्त करता है।
-जिन लोगों के हाथ की सूर्य रेखा, मस्तक रेखा से मिली हुई हो और मस्तक रेखा स्पष्ट सीधी होकर गुरु की ओर झुकने से चतुष्कोण का निर्माण होता हो, वह मंत्री समान सुख प्राप्त करता है।
-जिसके हाथ में गुरु, सूर्य पर्वत उच्च हो, शनि और बुध रेखा पुष्ट एवं स्पष्ट और सीधी हो, वह शासन में उच्च पद प्राप्त कर सकता है।