ये सवाल सुनने में जितना अजीब हैं, उतना ही अधिक सोचनीय हैं | देश में कई ख़तरनाक समस्याएं हैं, जो देश को खोखला कर रही हैं | आपकी सवाल में जो समस्या हैं, उनमें फर्क सिर्फ इतना हैं, कि एक समस्या देश को अंदर से खोखला कर रही हैं, और एक देश को बाहर से खोखला कर रही हैं | जैसा कि आपने दो समस्याओं का ज़िक्र किया हैं, भ्रष्टाचार और आतंकवाद |
भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या जो देश को अंदर से खोखला कर रही हैं, और वहीं दूसरी तरफ आतंकवाद जो देश को बाहर से खोखला कर रही हैं | समस्या तो दोनों ही गंभीर हैं इसलिए यह कहना थोड़ा मुश्किल हैं, कि दोनों में से कौन ज्यादा ख़तरनाक हैं | मेरे विचार से तो दोनों ही समस्या अपनी-अपनी जगह ख़तरनाक हैं, और हो भी क्यों न दोनों देश को खोखला ही कर रही हैं |
आतंकवाद को रोकना साधारण मनुष्य के लिए थोड़ा मुश्किल हैं, क्योकि यह काम जनता के लिए कठिन होगा, पर हाँ जनता सतर्क रह कर और सरकार के दिए गए निर्देश मान कर आतंकवाद को बढ़ावा देने से रोकजरूर सकती हैं | परन्तु भ्रष्टाचार को कम करना साफ़-साफ़ आम जनता के हाथों में हैं | हम लोग ही भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं | हमारे द्वारा दिया गया भ्रष्टाचार को बढ़ावा कहीं न कहीं हमें ही नुकसानदायक हैं |
( Courtesy : Dailyhunt )
सरकारी कर्मचारी अगर अपने काम को ठीक से नहीं करते हैं, तो उन्हें उनके काम को ठीक तरीके से करने के लिए कहना चाहिए न कि उनको काम करवाने के लिए पैसे देना चाहिए | एक बार अगर किसी काम को पैसे से करवाने की आदत हो गई तो, आपको और जिसको आप पैसे दे रहे हैं, उसको ईमानदारी से काम करने की आदत छूट जाएगी | जो की दोनों के लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं |
मेरे ख्याल से दोनों ही समस्या बहुत ख़तरनाक हैं, इन दोनों समस्याओंके जिम्मेदार हम जैसे लोग ही हैं | अगर हम सरकार के द्वारा दी हिदायतों का सही ढंग से पालन करें और सतर्क करें तो आतंकवाद कम होगा और अगर हम ईमादारी से अपना काम करें और सामने वाले को भी करने दें तो भ्रष्टाचार कम होगा |
( Courtesy : The Social Rush )