वोट देने से पहले हमें अपनी प्राथमिकताएं अवश्य तय कर लेनी चाहिए. मतदान राष्ट्रहित में और समाज हित में करना चाहिए. जाति, धर्म, क्षेत्रवाद की भावना को बाहर रखकर मतदान करना चाहिए. हमें किसी भी चुनाव में विकास के आधार पर वोट करना चाहिए।
देश में पिछले 55 सालों तक कांग्रेस ने शासन किया. ऐसा नहीं है कि उन्होंने विकास नहीं किया लेकिन कांग्रेस लोगों की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर सकी।

फिर दौर आया भाजपा का। भाजपा को भी देश की जनता ने दो बार मौका दिया लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि भाजपा चुनाव में रोजगार, शिक्षा, गरीबी उन्मूलन की बजाय सिर्फ भारत पाकिस्तान, मंदिर मस्जिद, कश्मीर, धारा 370 जैसी बातें कर रही है। राष्ट्रवाद के नाम पर चुनाव को भटकाने की कोशिश की जा रही है।
बात करें विकास कार्यों की तो इस देश में औद्योगिकरण कांग्रेस ने किया. हरित क्रांति कांग्रेस ने किया. देश को परमाणु संपन्न राष्ट्र कांग्रेस ने बनाया। भारतीय अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा दिलाया। इसरो और डीआरडीओ जैसे बड़े अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र बनाए. देश में बड़े बड़े स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और शिक्षण संस्थानां का निर्माण कराया. सिंचाई परियोजनाओं से लेकर विशाल डैम, एम्स जैसे अस्पताल बनाए। कांग्रेस के शासन के पूर्व देश की 95 प्रतिशत जनता गरीबी रेखा के नीचे थी, जो 2014 तक 35 प्रतिशत पर पहुंच गई। कांग्रेस ने देश में रेलवे का लंबा नेटवर्क स्थापित किया। मेट्रो और मोनो रेल चलाए। कांग्रेस ने बैंकिंग सुविधाओं में विस्तार किया। गांव गांव तक बैंक की शाखाएं खुलवाई।
इसके बावजूद कई समस्याओं के निदान में कांग्रेस बुरी तरह फेल साबित हुई। आज भी देश में स्वास्थ्य और शिक्षा हर किसी के लिए उपलब्ध नहीं है।
वहीं भाजपा ने भी अपने समय में देश की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त किया । फोरलेन से लेकर सिक्स लेन सड़कें बनाई। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की शुरुआत की। देश के गरीबों का बैंक में खाता खुलवाया. शौचालय का निर्माण कराया । भाजपा ने आयुष्मान भारत, मुद्रा योजना, कौशल विकास योजना आदि की शुरुआत की हालांकि जमीन पर इन सभी योजनाओं का बुरा हाल है। भाजपा के शासन में अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा रही है। आंतरिक विवाद बढ़े हैं और रोजगार के मोरचे पर इनकी सरकारें कुछ खास नहीं कर पाई हैं। भाजपा का अभी हाल यह है कि वो अपने नोटबन्दी, जीएसटी जैसे मुद्दों पर वोट नहीं मांग रहे हैं और ना ही रोजगरजैसे मुद्दों पर बात कर रहे हैं।
दोनों ही राजनीतिक दलों का काम आपके सामने है। अब आप खुद एक जिम्मेदार नागरिक की तरह आंकलन करें और जिसे चाहें, उसे वोट दें।