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राजनीती में चढ़ाव उतार होते रहते है पर जिस प्रकार भारत में राजनीती चल रही है उस के लिए कचरा कहना कचरे की भी बेइज्जती लगेगी। नेताओ की न तो जबान पर कोई लगाम है और न तो कोई चारित्र्य। अपने विरोधी को ठिकाने लगाने के लिए आज के राजनेता किसी भी हद तक जा सकते है। न सिर्फ जुमलेबाजी, पर खोखले वादे और दोहरा चारित्र्य होने के बावजूद किसी भी इंसान के सामने उंगली उठाने से वे हिचकिचाते नहीं है। ऐसा लगता है की इनके पास राजनीती के लिए चलते दिमाग के अलावा अन्य किसी भी मूल्यों की कोई कीमत ही नहीं है। शायद इसीलिए अच्छे लोग इस दलदल में कदम रखने से परहेज करते है।
सौजन्य: मंत्रीजी
किसी के भी चारित्र्य पर दाग लगाना, गलत प्रचार करना, निम्न स्तरित सीडी बनवाना और जरुरत पड़े तो किसी को मरवा देना यह आज हमारे देश के राजनेता के चारित्र्य है। प्रजा के प्रति सही में किसी को हमदर्दी नही है पर कुर्सी पर डटे रहना है और पब्लिक पैसे से खुद की रोटियां सेकनी है। कोई सच्चा इंसान अगर आवाज उठाता है तो उसे हमेशा के लिए खामोश कर देना भी इनको आता है। यहाँ तक की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीष भी इन से नही बच पाए है तो फिर आम इंसान की क्या मजाल की वो राजनेता से कुछ पूछे या कहे। सही मायने में भारत की राजनीति का हाल कचरे से भी बदतर है।
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