head cook ( seven seas ) | पोस्ट किया |
Delhi Press | पोस्ट किया
भारत के विपरीत, जो वर्तमान लोकतांत्रिक संरचना के कारण बहुत सी छिपी हुई और अप्रत्याशित समस्याओं का सामना कर रहा है, Pakistan के पास pseudo-democracy के रूप में समस्याओं का अपना अलग सेट है। हां, यही वह पाकिस्तान है, जो एक pseudo-democracy है। हाल ही में हुए देश के आम चुनावों से यह स्पष्ट है।
चुनावो में छेड़छाड़ और देरी सेना के सर्वव्यापी प्रभुत्व के कारण थी, जिससे पाकिस्तान की राजनीति हमेशा पीड़ित रहती है। पाकिस्तान में सैन्य शासन के लिए पाकिस्तानी मीडिया, चुनाव आयोग और पाकिस्तान में न्यायपालिका जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों की कमजोरी जिम्मेदार है |
पाकिस्तानी अमेरिकी इतिहासकार Ayesha Jalal,ने Scroll.in के साथ अपने साक्षात्कार ( interview ) में कहा कि "पाकिस्तान सेना की ताकत अन्य संस्थानों की कमजोरी में निहित है। Pakistan की कहानी सुनकर सभी को यह समझ आ जाना चाहिए कि सेना का इतना प्रभुत्व क्यों है व अन्य संस्थान क्यों कमज़ोर हैं" |
जलाल के अनुसार, 2010 के पाकिस्तानी संविधान संशोधन ने प्रधान मंत्री को सभी शक्तियों को स्थानांतरित कर दिया, परन्तु शक्तियों को राष्ट्रपति और सेना से ले लिया गया है वास्तविक नहीं है , अर्थात शक्तिया अभी भी सेना व राष्ट्रपति के पास है प्रधानमंत्री के पास केवल नाम कि शक्तियाँ हैं |
दरअसल, यह सच है, कि Pakistan अब तक केवल एक गणतंत्र है। सेना प्रत्येक राजनीतिक कदम का निर्धारण करती है व आदेश देने का कार्य करती गई जोकि 2018 के आम चुनाव में स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है | कुछ लोगों के लिए विश्वास करना मुश्किल हो सकता है, कि यह देश एक बार भारत का हिस्सा था, जिसने आजादी और विभाजन के बाद खुद को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बना दिया।
हालांकि इतिहासकारों ने विभाजन की संरचना के परिणामस्वरूप पाकिस्तान में सैन्य प्रभुत्व क्यों है इसका कारण देखा है। उनके अनुसार, Pakistan विभाजन के बाद जीवित नहीं रहता , लेकिन यह वास्तव में विभाजन के बाद जीवित रहा है। सेना शुरूआत से ही राजनेताओं को संचालित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैसले करने में सक्षम रही है। ऐसा लगता है, कि इतिहास खुदको पाकिस्तान दोहराने जा रहा है क्योंकि Pakistan के सेना द्वारा आम चुनावों में छेड़छाड़ की जा रही है और इमरान खान लगभग सभी शक्तियों के साथ सत्ता में आ रहे हैं।
0 टिप्पणी