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Sumil Yadav

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साध्वी प्रज्ञा पर चुनाव आयोग ने चुनाव लड़ने से रोक क्यों लगाई?


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साध्वी प्रज्ञा एक ऐसा नाम जो इस समय भारतीय मीडिया के जवान पर है हर न्यूज़ चैनल साध्वी प्रज्ञा के बारे में दिखा रहा है और साध्वी प्रज्ञा पर एक लंबी चौड़ी बहस छिड़ी हुई है। 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में मस्जिद में हुए बम धमाके में साध्वी प्रज्ञा को आरोपी बनाया गया। तभी साध्वी प्रज्ञा चर्चा में आई और तभी से मीडिया की सुर्खियों में बनी हुई हैं। अभी हाल ही में साध्वी प्रज्ञा ने बीजेपी को ज्वाइन किया है और बीजेपी ने उन्हें भोपाल से टिकट देकर दिग्विजय सिंह के खिलाफ प्रत्याशी उतारा है। मैं भोपाल में दिग्विजय सिंह को कड़ी टक्कर दे रही हैं।

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मस्जिद में धमाके में साध्वीी प्रज्ञा आरोपी बनायाााा गया है । परंतु उन पर अभी आरोप साबित नहीं हुए हैं और भारतीय संविधान के साथ सर जिस पर आरोप साबित नहींहुए वह चुनाव लड़ सकता है इसीलिए चुनाव आयोग ने साध्वी प्रज्ञा पर चुनाव लड़ने से कोोोई रोक नहीं लगाई है।


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साध्वी प्रज्ञा पर चुनाव आयोग ने किसी भी तरह के चुनाव लड़ने की कोई रोक नहीं लगाई है। साध्वी प्रज्ञा किसी भी तरह के मुकदमें में दोषी करार नहीं दी गई है, जिसकी वजह से उन्हें चुनाव लड़ने में कोई परेशानी नहीं हैं। निर्वाचन से जुड़े कानूनी प्रावधानों के अनुसार साध्वी प्रज्ञा के लिए चुनाव लड़ने में बाधा नहीं हैं।

साध्वी प्रज्ञा पर 29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए मक्का मस्जिद बम ब्लास्ट केस में आरोप है। साध्वी पर मामला अभी भी चल रहा है. 2017 में ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत के बाद स्वास्थ्य के आधार पर उन्हें बेल मिल गया था। इस बम ब्लास्ट में 100 से भी ज्यादा लोग घायल हुए थें और करीब आधा दर्जन लोगों की मौत हुई थी।
साध्वी प्रज्ञा को 2019 लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह के खिलाफ उम्मीदवार घोषित किया है।
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कानून के मुताबिक कोई भी वैसा शख्स जिस पर किसी अपराध साबित होने की दशा में 02 साल या उससे अधिक की सजा हुई हो, वो चुनाव नहीं लड़ सकता।



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