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हमारे मत्स्य पुराण ग्रंथों के अनुसार सृष्टि की रचना सुनहरे गर्भ में ब्रह्मा के प्रवेश कर जाने के कारण हुई है। इसे हिरण्यगर्भ की संज्ञा भी कहा जाता है, किंतु सांख्य दर्शन सृष्टि की उत्पत्ति गुत्थी को पुरुष तथा प्रकृति नामक दो शाश्वत तत्वों के द्वारा सुलझाने का प्रयास किया गया है।इस ग्रह की उत्पत्ति 4.54 बिलियन वर्ष पूर्व हुई है जिसका अधिकांश भाग 10-20 मिलियन वर्षों के भीतर पूरा हुआ हैं ।
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चलिए दोस्तों आज हम आपको बता रहे हैं कि सृष्टि की रचना किस प्रकार से हुई है। बताया जा रहा है कि मत्स्य पुराण ग्रंथों के अनुसार सृष्टि की रचना एक सुनहरे गर्भ मे ब्रह्मा के प्रवेश कर जाने के कारण हुई थी। और इसे हिरण्यगर्भ की संज्ञा के नाम से भी जाना जाता है। और सृष्टि की उत्पत्ति लगभग 4.54 बिलियन वर्ष पूर्व हुई है जिसका अधिकांश भाग 10-20 मिलियन वर्षों के भीतर पूरा हुआ हैं ।
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धार्मिक पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने पुरे संसार की ररचना किये थे,लेकिन वेदों और विष्णुपुराण में वर्णित के कहानी के अनुसार सभी जीव, जंतुओं की उत्पत्ति कश्यप नाम के एक ऋषि द्वारा हुयी थी। कश्यप ऋषि को सप्तऋषियों में से बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रजापति दक्ष ने अपनी 13 पुत्रियों का विवाह कश्यप ऋषि के साथ कर दिया था, उनकी पुत्रीयो के नाम इस प्रकार -दानु,अरिश्ता, सुरसा, सुरभि, विनाता, अदिति, दिति, कदरु, तामरा, क्रोधवशा, इदा, विश्वा तथा मुनि थी। ऐसा माना जाता है कश्यप ऋषि द्वारा अपनी पत्नियों के साथ संयोग करने से पुरे संसार के सभी जीव-जंतुओ की उत्पत्ति हुयी थी।
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क्या आपने कभी सोचा है कि संसार की उत्पत्ति कैसे हुई है क्योंकि यह बात इतनी उलझी हुई है कि लोगों को समझ में नहीं आती है कि संसार की उत्पत्ति कैसे हुई होगी चलिए फिर भी हम अपने शास्त्रों के द्वारा पता लगाते हैं कि आखिर संसार की उत्पत्ति कैसे हुई है। धार्मिक पुराणों में तो बताया गया है कि पूरे संसार की रचना भगवान विष्णु जी के द्वारा की गई है लेकिन वेदों में बताया जाता है कि संसार में जितने भी जीव जंतु में उनको ऋषि कश्यप ने बनाया है इसलिए लोगों का मानना है कि संसार की उत्पत्ति ऋषि कश्यप के द्वारा की गई है।
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