वैसे देखा जाए तो साल में केवल 365 दिन ही होते हैं, परन्तु हिन्दू कैलेंडर के अनुसार साल में 365 दिन के बाद भी कुछ अतिरिक्त दिन होते हैं, जिन्हें अधिक मास, खर मास या मलमास कहते हैं । साल में अधिक दिन होने के कारण इस मास को शुभ नहीं मानते । आपको आज बताते हैं कि यह अधिक मास क्या है और क्यों है ?
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ज्योतिष के अनुसार दिनों की गिनती ग्रह और नक्षत्रों के आधार पर होती है जिसके हिसाब से हर तीन साल बाद अधिक मास आता है । इसको अशुभ मानने के कारण इसको मलिन कहा जाता है । मलिन होने के कारण ही इसको मलमास नाम से भी जाना जाता है । ज्योतिष के अनुसार मलमास पूरे 32 महीने 16 दिन और 8 घड़ी के बाद होता है । वैसे तो मलमास सूर्य मास और चंद्र मास के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए होता है । यह पूरे 3 साल के बाद आता है , क्योकिं सूर्य पूरे वर्ष में 365 दिन और 6 घंटे उदय होता है और चंद्र पूरे वर्ष में 354 दिन आता है । इस तरह सूर्य और चंद्र उदय होने के बीच 11 दिन का अंतर आ जाता है । यह अंतर लगातार 3 साल आता है जिसके कारण हर साल 11 दिन मिलकर पूरे 3 साल में एक मास हो जाता है जो कि अधिक मास कहलाता है ।
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मलमास में भगवान शिव की आराधना और भगवान विष्णु का पूजन लाभकारी है, इससे सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं । मलमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता , जैसे विवाह ,मुंडन, ग्रहप्रवेश, शादी की बात, नई चीज़ की खरीदी इत्यादि ।