यह एक ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति के सोचने और समझने की क्षमता खत्म हो जाती है और वह ना कभी ख़ुशी का अभाव कर पाता है और ना कभी दुःख का, कुछ लोगों की मानसिक हालत इतनी खराब हो जाती है कि उसे किसी के मरने का भी कोई दुःख नहीं होता और ना ही वह किसी प्रकार की प्रतिक्रिया दे पाता है | ज्यादातर स्किज़ोफ्रेनिया से जूंझ रहे लोगों में split personality पायी जाती है और वह सच और झूठ में अंतर करने में असमर्थ हो जाते है |
(courtesy-ProProfs)
स्किज़ोफ्रेनिया को Dementia praecox से भी जाना जाता है, इस बीमारी की सबसे बुरी बात यह है कि यह ज्यादातर केवल 20 से 25 वर्ष के उम्र के लोगों में पायी जाती है और यह एक ऐसी बीमारी है जो हमारी युवा पीढ़ी में दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है | यह उन बीमारियों में से एक है जिसमें अगर सही समय पर मरीज़ का इलाज नहीं करवाया गया तो ऐसे में स्किज़ोफ्रेनिया के मरीज़ों में खुदकुशी करने के आसार बढ़ जाते है क्योंकि जैसे जैसे यह बीमारी बढ़ती है वह कुछ भी अच्छा या बुरा सोचने के लिए असमर्थ होते जाते है |
(courtesy-BrightQuest Treatment Centers)
यह एक ऐसी बीमारी है जो हवा की तरह तेज़ी से बढ़ रही है, क्योंकि अगर हम सिर्फ भारत की बात करें तो 40 लाख लोग स्किज़ोफ्रेनिया की बीमारी से पीड़ित है | नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ 'ह्युमन बिहेवियर एंड एप्लाइड साइंसेज संस्थान (इहबास) के निदेशक डॉ. निमेश जी. देसाई ने बताया कि यह एक गंभीर मानसिक बीमारी है और इसका एक कारण अधिक तनाव भी होता है , और पूरी तरह से इस बीमारी का इलाज़ संभव है |
बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री बॉबी देओल भी काफी लम्बे समय से इस बीमारी से जूंझ रही थी और उनकी मौत भी इसी बीमारी की वजह से हुई थी |
स्किज़ोफ्रेनिया रोग के लक्षण -