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सबसे पहले सभी माता रानी के भक्तों को नवरात्री की हार्दिक बधाई….
हर साल की तरह इस साल भी माता रानी अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करने के उद्देश्य से आने वाली है| जी हाँ! इस साल का नवरात्रा 7 ओक्टोबर यानी कि कल से शुरू है| इस साल क्या खास है इस नवरात्रे में जानने के लिए दोस्तों आपको हमारा ये आर्टिकल अंत तक पढ़ना होगा| तभी आप जान पाएंगे कि इस साल नवरात्री के नौ दिन नहीं बल्कि सिर्फ आठ दिन है| जी हाँ! बिलकुल सही सुना आपने इस साल नवरात्री नौ दिन की नहीं बल्कि आठ दिन की मनाई जाएगी..
चलिए इस बात को भी जान लेंगे कि ऐसा क्यों होगा लेकिन सबसे पहले हमारी माता रानी के भक्तों को हम इस बात की जानकारी तो दे दें कि इस साल पूजन और कलश स्थापना का सही समय क्या है साथ ही हम आपको ये भी बताएँगे कि आप कलश स्थापना अगर घर में करना चाहते हैं तो इसकी विधि क्या है?
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त:
इस साल कलश की स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11:52 से दोपहर 12:38 तक रहेगा| इस वर्ष की नवरात्री इसलिए खास है क्योंकि इस साल नवरात्रि 8 दिनों की है, जिसका कारण है कि इस साल चतुर्थी और पंचमी तिथि एक ही दिन मनाई जा रही हैं|
कलश स्थापना के लिए सामग्री:
कलश स्थापना के लिए आवश्यक सामग्री में आपको कुछ चीज़ों को सबसे पहले एकत्रित करना होगा| जिसमें आपको चाहिए..
ऐसे करें कलश की स्थापना:
घटस्थापना दौरान कुछ विशेष नियम होते हैं जिनका आपको पालन करना जरुरी होता है|
जैसे:
और कलश स्थापना पूर्ण होने के बाद देवी का आह्वान करें और मातारानी का पूजन शुरू करें|
माता रानी का पूजन श्रद्धा भक्ति से करें माता रानी प्रसन्न होकर आपके सभी दुखों का निवारण करेगी|
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इस वर्ष नवरात्री प्रारम्भ 7अक्टूबर 2021 को है। माता रानी की मूर्ति लाने और पूजा का शुभ मुहर्त सुबह 6:-17 से लेकर शाम को 7:मिनट तक मुहूर्त है जिसे मे आप माता रानी को लाकर पूजा करके कलश स्थपना विधि विधान से पंडित जी की राय के अनुसार कलश स्थपना करे माता रानी बैठने का सही समय स्थान का ध्यान रखे। पूजा के लिये कुछ समाग्री जैसे :- हवन, अगरबत्ती, माचिस, नारियल, पान, बाती, तेल, घी, चुन्नर, फूलमाला, जवारे बोन मटट्टी घड़े, माता रानी के सोलाह श्रगार का सामान आदि।
नवरात्रि मे कलश स्थापना का बहुत विशेष महत्व दिया जाता है नवरात्री का त्यौहार नव दिनों का चलने वाला त्यौहार होता है जिसमे दुर्गा रानी की हर एक दिन पूजा आरती की जाती है और हर रोज माता रानी सामने दिया जलाये जाते है माता रानी सोलह श्रंगार करते है माता रानी नई चुन्नीरी ओढ़ाई जाती है।
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