जब इंसान दुखी होता है तो मस्तिष्क और शरीर में कई ऐसे केमिकल्स वह हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं, हमारे शरीर में इसकी आवश्यकता नहीं होती है। तब शरीर इन केमिकल्स को आंखों के माध्यम से बाहर निकालने की कोशिश करता है। इस प्रकार रोने से केमिकल्स कंट्रोल हो जाते हैं। इसी कारण से जब व्यक्ति रोता है तब उसका मन हल्का हो जाता है।
कई बार तो धुंए से भी हमारी आंखों में आंसू आ जाते हैं।
धुंए में जल वाष्प, कार्बन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे गैसें मिली होती है। अगर धुंए के साथ ये गैसें हमारी आंखों में जाती है, तो आंखों के आंसुओं के साथ मिलकर ये गैस सल्फ्यूरिक अम्ल बनाती है, जिसका प्रभाव आंखों की नसों पर पड़ता है। इस कारण से आंखें दर्द करने लगती है और आंखों से आंसू भी आने लगते हैं और जिस धुंए में सल्फर डाइऑक्साइड नहीं होती, उससे आंखों में जलन नहीं होती है।
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