Student ( Makhan Lal Chaturvedi University ,Bhopal) | पोस्ट किया | शिक्षा
Marketing Manager | पोस्ट किया
औरंगजेब भारत के इतिहास के पन्नों में दर्ज वह नाम है, जिसकी क्रूरता के किस्सों से आज भी लोग सिहर उठते हैं । यह एक ऐसा जालिम राजा था, जिसने अपने पिता को जेल में डाला, अपने सगे भाइयों और भतीजों की क्रूरता से ह्त्या की । यहां तक कि अपनी प्रजा पर बर्बरता करते हुए इसने हिन्दुओं के सैकड़ों मंदिरों को भी तुड़वा दिया था । तो आईये जानते हैं हैवानियत को अपना धर्म मानने वाले इस क्रूर शासक को ।
औरंगजेब ने पहले तो हिन्दू त्यौहारों पर प्रतिबन्ध लगाया और हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया । बनारस के ‘विश्वनाथ मंदिर‘ एवं मथुरा के ‘केशव राय मंदिर’ को इसी के कहने पर तोड़े गये । बाद में उसने तोड़े गये मंदिरों की जगह पर मस्जिद और कसाईखाने कायम कर दिये । हिन्दुओं के दिल को दुखाने के लिए इस क्रूर शासक ने गो−वध करने तक की खुली छूट दे दी थी ।
यह हिंदुओं से नफरत करता था, इसिलए उसने हिन्दुओं और सिखों को जबरन मुसलमान बनाने की मुहिम चलाई । जो प्यार से मान गया तो ठीक, नहीं तो उसने जोर जबरदस्ती करने में कोई कोताही नहीं बरती । उसने जब हिन्दुओं पर जजिया कर लगाया, तो इसका बड़े पैमाने पर विरोध हुआ, पर वह कहां मानने वाला था । उसने बेरहमी से सभी की आवाजों को कुचल दिया । इसके साथ-साथ उसने मुसलमानों को करों में छूट दे दी । ताकि हिन्दू अपनी निर्धनता के कारण इस कर को न चुका पाये और मजबूरन उन्हें इस्लाम ग्रहण करना पड़े ।
औरंगजेब कितना बड़ा कट्टर शासक था, इस बात को इसी से समझा जा सकता है कि, उसने हिन्दुओं को दिवाली के अवसर पर आतिशबाजी चलाने से मना कर दिया था । हिन्दुओं को शीतला माता, पीर प्रभु आदि के मेलों में इकठ्ठा न होने का हुकुम दिया और हिन्दुओं को हाथी, घोड़े की सवारी करने से भी मना कर दिया गया । यही नहीं उसने सभी सरकारी नौकरियों से हिन्दू क्रमचारियों को निकाल कर उनके स्थान पर मुस्लिम कर्मचारियों की भर्ती का फरमान भी जारी किया था ।
औरंगज़ेब ने ब्रज संस्कृति को खत्म करने के लिए ब्रज के नाम तक बदल डाले थे । उसने मथुरा को इस्लामाबाद, वृन्दावन को मेमिनाबाद और गोवर्धन को मुहम्मदपुर का बना दिया था । वह बात और है कि यह नाम प्रचिलत नहीं हो सके । लेकिन कहते हैं न कि ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती । औरंगजेब पर भी ईश्वर की लाठी पड़ी. नतीजा यह हुआ कि जिस कृष्ण की संस्कृति को वह खत्म करने चला था. उसी संस्कृति की उसकी बेटी ‘जेबुन्निसा’ दीवानी हो गई और कृष्ण भक्त बनकर उसके सामने खड़ी हो गई।
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