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यह सूर्य ग्रहण विशेष इसलिए होने जा रहा है कि क्योंकि इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाएगी और हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि पर सूर्य ग्रहण के दो प्रमुख व्रत हैं एक तो इस दिन न्याय के देवता शनि भगवान का जन्म हुआ था और दूसरा वट सावित्री का व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा। ज्योतिषशास्त्रीयो के अनुसार इस बार का सूर्य ग्रहण वृषभ राशि और मृगशिरा नक्षत्र में ही लगेगा। भारतीय धर्म शास्त्रों में सूतककाल को अशुभ माना जाता है सूतककाल के होने से मंदिरों, घरो में पूजा पाठ भी नहीं की जाती व किसी भी शुभ कार्य को नहीं किया जाता। लेकिन भारत में जब सूर्य ग्रहण लगेगा ही नहीं तो सूतककाल भी अशुभ नहीं होगा और भारत में मान्य भी नहीं होगा। इसीलिए सभी लोग शुभ कार्य जैसे धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ संबंधित कार्य को कर सकते हैं जिनमें इस सूर्य ग्रहण के कारण कोई भी व्यवधान उत्पन्न नहीं होगा।
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