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पांडव वंश के अंतिम राजा जनमेजय पांडव थे।
पांडव वंश के पहले राजा परीक्षित हुआ करते थे,लेकिन एक दिन राजा परीक्षित शिकार मे निकले तो उनको साँपो ने डसने कोशिश की लेकिन उनको कोई सांप नहीं डस पाया, राजा परीक्षित अपने आपको बचाने के लिए ऐसी जगह अपना घर बनवाया जहाँ कोई ना पहुंच पाए राजा परीक्षित को किसी ऋषि ने श्राप दिया था कि तेरी मौत संप डसने होंगी लेकिन उनकी बातो वह झूठ समझते थे, लेकिन राजा परीक्षित के घर कोई ब्राह्मण के भेस मे आये थे और वह ब्राम्हण राजा को फूल दिया जिस मे से सांप निकला और राजा परीक्षित को डस लिया। राजा परीक्षित की मृत्यु के बाद पांडव वंश के अंतिम राजा जनमेजय पांडव को बनाया गया।
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पांडव वंश के अंतिम राजा जनमेजय पांडव थे। लेकिन पांडव वंश के पहले राजा परीक्षित हुआ करते थे । एक बार राजा को श्राप मिला था कि तुम्हारी मृत्यु सांप के डसने से होगी लेकिन उन्होंने इस बात को नकार दिया था और 1 दिन के लिए जब भी शिकार पर गए थे तो उन्हें सांप ने डस ने की कोशिश की लेकिन उन्हें सांप डस नहीं पाया तो उन्होंने ऋषि के श्राप को झूठा नकार दिया और फिर कुछ दिनों बाद एक ऋषि ब्राह्मण के वेश में राजा के महल पर आए थे और उन्हें पुरस्कार दिए थे पुरस्कार में फूल थे और उसी फूल की टोकरी में एक कीड़े के रूप में सांप बैठा हुआ था और समय मिलते ही वह कीड़ा सांप के रूप में आकर राजा को डस लिया था और उनकी मृत्यु हो गई। और फिर बाद में पांडव के राजा जनमेजय को बना दिया गया।
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