पालघर का मामला और बुलंदशहर का मामला दोनों बिल्कुल ही अलग अलग है इन दोनों मामलों का एक दूसरे से आपस में कोई भी लेना देना बिल्कुल भी नहीं है वह अलग बात है कि बोलने वाले अब निशाना तो साधेंगे ही. अब उनकी तो कोई बोलती बंद नहीं करा सकता है.
अभी पालघर का मामला शांत ही नहीं हुआ था कि एक नया मामला फिर से आ जाता है और यह मामला इस वक्त फिर से सुर्खियों में छा जाता है कि साधुओं की हत्या हुई है.मगर यह मामला पालघर के मामले से बिल्कुल भी मिलता जुलता नहीं हो सकता है.
पालघर में भीड़ द्वारा साधुओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है जिससे यह मामला बिल्कुल ही जग ने अपराध लगता है क्योंकि भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करना यह बिल्कुल भी सराहनीय योग्य नहीं है.जबकि बुलंदशहर का मामला भीड़ द्वारा पीटे जाने वाला नहीं है इसको हम देशभर में साधुओं की होरी हत्या के साथ नहीं जोड़ सकते हैं क्योंकि यह एक साधारण सा मामला है.
बुलंदशहर पुलिस के मुताबिक उक्त व्यक्ति ने बाबा का चिमटा गायब कर दिया था जिसके चलते बाबा ने इसे डांटा था. प्रथम दृष्टया इसके चलते ही उक्त व्यक्ति ने दोनों बाबा को मारा है, ग्रामीणों ने भी उक्त व्यक्ति को घटनास्थल से तलवार ले जाते हुए देखा था, फिलहाल आरोपी गिरफ्त में है, बाकी होश में आने पर सख्ती से पूछताछ की जाएगी.
इस मामले में व्यक्ति नशे में होता है और वह नशे में जाकर होश खोए अपनी रंजिश को निभाते हुए उन दोनों साधुओं को तेजधार हथियार से हमला करके मौत के घाट उतार देता है जबकि पालघर में ऐसा नहीं होता है यह मामला साधुओं की हत्या दिनों दिन हो रही है इसके साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.
क्योंकि ऐसा सोचना बिल्कुल ही गलत है. जो आरोपी है और जो दोनों साधु है वह एक दूसरे को पहले से ही जानते थे और दोनों एक ही गांव के थे. इसका मतलब की जो हत्या हुई है. आपसी रंजिश की वजह से की गई है.आरोपी और मरने वाले एक-दूसरे को जानते थे जबकि पालघर में एक दूसरे को कोई भी नहीं जानता था और भीड द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है.
