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क्या आप जानते हैं कि सुदामा जी इतने गरीब क्यों थे आज यहां पर मैं आपको बताती हूं कि सुदामा जी के गरीब होने के पीछे का क्या कारण है। कहा जाता है कि एक ब्रह्माणी थी जो बहुत ही गरीब थी और भिक्षा मांग कर अपना गुजारा करती थी लेकिन एक दिन ऐसे समय आया कि उसे 5 दिन तक भिक्षा में कुछ नहीं मिला इसलिए वह रोज रात को बिना खाए ही सो जाती थी। लेकिन एक दिन उसे भिक्षा में चने मिले थे तो उसने सोचा कि आज रात को ऐसे ही सो जाती हो और सुबह होते ही भगवान को भोग लगाकर इस चने का सेवन करूंगी लेकिन रात को उसकी कुटिया में कुछ चोर आते हैं और उसके चने को चोरी करके ले जाते हैं तभी ब्राह्मणी की नींद खुल जाती है और वे जोर-जोर से चिल्लाने लगती है तभी चोर उस चने पोटली को संदीपन मुनि के आश्रम में छुपा देते हैं जहां पर भगवान श्री कृष्ण और सुदामा जी शिक्षा ग्रहण करने के लिए रहते थे। तभी वह ब्राह्मणी उन चोरों को श्राप देती है कि जो भी इस चने को खाएगा वह हमेशा के लिए दरिद्र हो जाएगा। तभी आश्रम में चने की पोटली वहां की गुरु माता को मिलती है तो वे सुदामा को उस पोटली को दे देती है और कहती है कि जब तुम और कृष्ण वन में लकड़ी के लिए जाना तो इस चने का सेवन दोनों लोग बराबर मात्रा में कर लेना। लेकिन सुदामा जी ने चने की पोटली से सारे चने को अकेले ही खा जाते हैं क्योंकि उन्हें पता था कि यदि भगवान श्रीकृष्ण को इनमें से चने को दे देंगे तो वे भी गरीब हो जाएंगे इसलिए उन्होंने सारा चना अकेले ही खा लिया जिस वजह से सुदामा हमेशा के लिए दरिद्र हो गए थे।
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