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pravesh chuahan,BA journalism & mass comm | पोस्ट किया |


दिल्ली पुलिस ने मासूम छात्रों पर ही कर दिया सर्जिकल स्ट्राइक!


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pravesh chuahan,BA journalism & mass comm | पोस्ट किया


पुलिस वालों के हौसले देश की जनता ने इस कदर बुलंद कर दिए है कि अब जनता को ही इसकी भरपाई खूब बेहतरीन ढंग से करनी पड़ रही है. अभी कुछ समय पहले ही हैदराबाद पुलिस दारा ने रेप के चारों आरोपियों का फर्जी एनकाउंट किया था. भावनाओं में बहते हुए जनता ने पुलिस का पूरा साथ दिया. इस बात को भी आप अच्छे से जानते हैं कि शेर के मुंह में एक बार खून लग जाए तो उसको खून की आदत पड़ जाती है वही हालत पुलिस वालों का हो चुका है. दिल्ली में पुलिस वालों द्वारा एक नामी यूनिवर्सिटी में घुसकर छात्रों को इस कदर मारा गया जैसे वह यूनिवर्सिटी नहीं आतंकवादियों की ट्रेनिंग का अड्डा था.

दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में कुछ दिनों से हालात इतने ज्यादा खराब हो गए हैं कि पुलिस द्वारा की गई बर्बरता से इस बात का संदेश पुलिस वाले देना चाहते हैं हम कहीं भी घुस सकते हैं, और किसी को भी मार सकते हैं, हमारे रास्ते में जो आएगा वह छात्रों की तरह चूर चूर हो जाएगा, इसलिए पुलिस वाले से डर कर रहिएगा, वरना इन छात्रों की तरह आप का भी हाल बेहाल करेंगे,यह संदेश पुलिस वाले लोगों को देना चाहते है और लोगों के मन में डर बैठाना चाहते हैं. वर्दी का रौब इन खाकी धारियों पर इस कदर छा गया है ऐसा लगता है मानो यह अब सिंघम का रूप धारण कर चुके हैं हालांकि सिंघम भी इतना निर्दयी नहीं था जितना कि दिल्ली पुलिस निर्दयी बन चुकी है.

आखिर क्या था पूरा मामला !

जामिया में हाल ही में सरकार द्वारा लाए गए नागरिक संशोधन बिल पर शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन हो रहा था, पुलिस का कहना है कि छात्रों द्वारा पत्थर चलाए गए इसके जवाब में पुलिस वालों ने यूनिवर्सिटी के अंदर घुस कर लड़कियों के हॉस्टल में, लड़कों के हॉस्टल में, यहां तक कि शिक्षा के मंदिर लाइब्रेरी को भी नहीं बख्शा, इन सभी में जाकर पुलिस वालों ने ताबड़तोड़ छात्रों पर लाठी डंडों और आसु गोलों की बौछार चालू कर दी, जिनकी वीडियो आपको यूट्यूब पर आसानी से सर्च करने पर मिल जाएगी. ऐसा लगता है मानो पुलिस वाले जंग के मैदान में गए हुए हैं, यही पुलिस वाले जंग के मैदान में उस भीगी बिल्ली की तरह बन जाते हैं जो किसी कोने में छुपकर जंग को देख रहा होता है.

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस तरह खौफनाक तरीके से छात्रों के मन में डर बैठाने और उनके साथ कैंपस के अंदर घुसकर मारपीट करने को लेकर किसी भी तरह से पुलिस वालों को कमिश्नर के आदेश मिले थे. नियम के मुताबिक अगर पुलिस किसी तरह की कार्रवाई करती है तो उनको ऊपर से आदेश मिलना लाजमी होता है.फिर कैसे पुलिस वालों ने इस बर्बरता को अंजाम दिया यह बात बिल्कुल समझ से बाहर है

क्या कहना है पुलिस वालों का ?
पुलिस वालों का कहना है कि 750 फर्जी आईडी कार्ड बरामद किए गए हैं मानते हैं कि आईडी कार्ड फर्जी थे तो क्या कॉलेज के अंदर घुस कर जो असली छात्र थे उनके साथ कि गई बर्बरता किस हद तक जायज है इन सब का जवाब पुलिस वालों के पास नहीं होगा.

अभी कुछ दिनों पहले ही पुलिसवालों और वकीलों में झड़प को लेकर यही पुलिस वाले धरने पर बैठ गए थे और अपनी अच्छाइयों का सबूत लोगों को दे रहे थे कि हम पुलिस वालों पर अत्याचार हो रहा है मगर पुलिस वालों के दोगले रवैया को पूरा देश अच्छी तरीके से अब पहचान गया है.

यह पुलिस वाले इस बात को भूल रहे हैं कि हैदराबाद एनकाउंटर में आरोपियों को गैरकानूनी तरीके से मारे जाने को लेकर देश के छात्रों ने ही पुलिस वालों का समर्थन किया था अगर पुलिस वाले अपने आप को इतना ही दबंग, तीस मार खान, सिंघम बन रहे है तो संसद में बैठे आपके माननीय सांसद जो कि 45% सांसद अपराधी हैं उनको क्यों नहीं पीटते संसद में जाकर..... अगर आप उनको पिटेंगे तो पूरा देश आपके समर्थन मे आकर आपके साथ खड़ा होगा. मगर आप यह नहीं कर सकते.

ऐसे भी आकांक्षा जताई जा रही है कि इस तरह से पुलिस वालों द्वारा की गई बर्बरता को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है इस तरह के सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया जाना एक बहुत बड़ी बात है यानी कि इसका पूरा कनेक्शन सरकार से मिलता हुआ दिखाई दे रहा है राजनीतिक विशेषज्ञों का ऐसा भी मानना है कि दिल्ली में चुनाव होने वाले हैं केजरीवाल सरकार की छवि खराब करने के लिए इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है.

इसी साल दिल्ली पुलिस ने इसी तरह अपनी वर्दी का रोब दिखाते हुए एक सिख समुदाय के व्यक्ति को बीच सड़क में सरेआम 4 पुलिस वालों ने द्वारा बेरहमी से मारा मारपीट की गई थी. बदले में सिखों ने पुलिस वालों द्वारा की गई बर्बरता को आड़े हाथ लेते हुए थाने का घेराव किया और एसिपी रैंक का अधिकारी जब सिखों को समझाने आया तो उन्होंने एसीपी की औकात दिखाते हुए उसकी जमकर धुलाई भी की थी.



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