नमस्काररिंकी जी ,आपका सवाल बहुत सी सुन्दर है | वर्तमान समय मे कोई भी दिवस हो एक व्यापर की दृष्टि से ही देखा जाता है | कोई भी दिवस अब सिर्फ शॉपिंग करने मे छूट या सेल बनकर रह गया है | वर्तमान समय मे किसी भी दिन की कीमत सिर्फ पैसा बन गए है |
महिला दिवस - जैसा की सब जानते है कि ये दिवस क्यों मनाया जाता है | यह दिवस सबसे पहले 28 फ़रवरी 1909 को मनाया गया। इसके बाद यह फरवरी के आखिरी इतवार के दिन मनाया जाने लगा। 1910 में सोशलिस्ट इंटरनेशनल के कोपेनहेगन सम्मेलन में इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया गया। उस समय इसका प्रमुख ध्येय महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिलवाना था, क्योंकि उस समय अधिकतर देशों में महिला को वोट देने का अधिकार नहीं था।
नारी का हर रूप उसकी विशेषता को दर्शाता है | नारी हर रूप मे अपना एक विशषे स्थान रखती है | एक नारी पहले किसी की बेटी होती है ,फिर किसी की बहन होती है ,जब उसकी शादी होती है तो उसकी ज़िंदगी मे और कई रिश्ते जुड़ जाते है | वो जो अब तक किसी की बहन और बेटी है वही अब किसी की पत्नी ,किसी की बहु और किसी की भाभी बन जाती है | इतने रिश्ते एक अकेली औरत के ही होते है जो वो हर रूप मे निभाती है | कभी बहु बनकर कभी पत्नी बनकर तो कभी माँ बनकर | और कई बार तो वो अपने ही रिश्तों मे उलझ जाती है |
आज वर्तमान मे महिलाओ को कई सारी सुविधा प्रदान की गए है | और आज का सबसे महत्वपूर्ण विचार ये जाननाहै की क्या वर्तमान समय मे महिला अपने अधिकारों का सही ठंग से प्रयोग कर रही है ? ऐसा तो नहीं के महिलाए भी कही अपने अधिकार समझ नही पा रही और गलत दिशा को और अग्रसर हो रही हो | अपने अधिकार पहचानो मगर सही और सरल तरीके से |