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कांगो बुखार विषाणुजनित रोग होता है। यह वायरस सबसे पहले पश्चिमी अफ्रीका में फैला था लेकिन इसके बाद वर्ष 1944 में इस वायरस की पहचान क्रीमिया देश में हुयी। फिर वर्ष 1969 में कांगो बुखार का पहला मरीज सामने आया,इसके बाद कांगो बीमारी का नाम सीसीएचएफ पड़ गया।यह रोग पशुओं और पशु पालन करने वाले लोगो क़ो ज्यादा होता था,इसलिए इस बीमारी की चपेट में आने का खतरा उन लोगों को अधिक होता था जो लोग आपने घरों मे भैस,गाय, भेड़,बकरी, कुत्ता आदि पालते थे।कांगो फीवर बीमारी यदि जानवरो या किसी व्यक्ति क़ो हो जाती थी तो उनका बचना मुश्किल हो जाता था करीब 30%-70% व्यक्तियों की मौत हो जाती थी।
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क्या आपने कांगो फीवर नामक बीमारी का नाम कभी सुना है यदि नहीं सुना है तो चलिए आज हम आपको इस आर्टिकल में कोंगो नामक बीमारी के बारे में बताते हैं जी हां दोस्तों कांगो नामक की एक बीमारी है जो बहुत ही खतरनाक होती है कांगो एक विषाणु जनित रोग होता है यह लोग ज्यादातर पशु पालने वाले लोग और पशुओं को होता है। यदि किसी व्यक्ति को कांगो नामक फीवर हो जाता है तो उसे व्यक्ति के शरीर में किसी भी अंग से कभी भी खून निकलना शुरू हो जाता है। वर्तमान समय में गुजरात शहर में कोंगो नामक फीवर काफी तेजी से फैल रहा है।
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