कृष्ण जी के कितने नाम है ?

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| Updated on December 22, 2023 | Astrology

कृष्ण जी के कितने नाम है ?

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@komalverma6596 | Posted on August 22, 2019

दुनिया को गीता का ज्ञान देने वाले भगवान श्रीकृष्ण को युग पुरुष कहा जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार हर युग में भगवान कृष्ण की शिक्षाएं हमारे लिए ज्ञान का स्त्रोत हैं, और जो व्यक्ति साफ़ और सच्चे मन से इन्हें समझता और जीवन में पालन करता है उसे परम धर्म का आभाष होता है।


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इतना ही नहीं बल्कि भगवान कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अहम भूमिका निभाते हुए विश्व को “श्रीमद्भागवत गीता” का उपदेश प्रदान किया। भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए कृष्ण जी के कई नामों का जाप किया जाता है जिनमें से 108 नाम निम्न हैं |


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1 अचला : भगवान।

2 अच्युत : अचूक प्रभु, या जिसने कभी भूल ना की हो।
3 अद्भुतह : अद्भुत प्रभु।
4 आदिदेव : देवताओं के स्वामी।
5 अदित्या : देवी अदिति के पुत्र।
6 अजंमा : जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो।
7 अजया : जीवन और मृत्यु के विजेता।
8 अक्षरा : अविनाशी प्रभु।
9 अम्रुत : अमृत जैसा स्वरूप वाले।
10 अनादिह : सर्वप्रथम हैं जो।
11 आनंद सागर : कृपा करने वाले
12 अनंता : अंतहीन देव
13 अनंतजित : हमेशा विजयी होने वाले।
14 अनया : जिनका कोई स्वामी न हो।
15 अनिरुध्दा : जिनका अवरोध न किया जा सके।
16 अपराजीत : जिन्हें हराया न जा सके।
17 अव्युक्ता : माणभ की तरह स्पष्ट।
18 बालगोपाल : भगवान कृष्ण का बाल रूप।
19 बलि : सर्व शक्तिमान।
20 चतुर्भुज : चार भुजाओं वाले प्रभु।
21 दानवेंद्रो : वरदान देने वाले।
22 दयालु : करुणा के भंडार।
23 दयानिधि : सब पर दया करने वाले।
24 देवाधिदेव : देवों के देव
25 देवकीनंदन : देवकी के लाल (पुत्र)।
26 देवेश : ईश्वरों के भी ईश्वर
27 धर्माध्यक्ष : धर्म के स्वामी
28 द्वारकाधीश : द्वारका के अधिपति।
29 गोपाल : ग्वालों के साथ खेलने वाले।
30 गोपालप्रिया : ग्वालों के प्रिय
31 गोविंदा : गाय, प्रकृति, भूमि को चाहने वाले।
32 ज्ञानेश्वर : ज्ञान के भगवान
33 हरि : प्रकृति के देवता।
34 हिरंयगर्भा : सबसे शक्तिशाली प्रजापति।
35 ऋषिकेश : सभी इंद्रियों के दाता।
36 जगद्गुरु : ब्रह्मांड के गुरु
37 जगदिशा : सभी के रक्षक
38 जगन्नाथ : ब्रह्मांड के ईश्वर।
39 जनार्धना : सभी को वरदान देने वाले।
40 जयंतह : सभी दुश्मनों को पराजित करने वाले।
41 ज्योतिरादित्या : जिनमें सूर्य की चमक है।
42 कमलनाथ : देवी लक्ष्मी की प्रभु
43 कमलनयन : जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
44 कामसांतक : कंस का वध करने वाले।
45 कंजलोचन : जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
46 केशव : क , आ , ईश और व् -- इन चारों के मिलने से केशव बनता है |
47 कृष्ण : सांवले रंग वाले।
48 लक्ष्मीकांत : देवी लक्ष्मी की प्रभु।
49 लोकाध्यक्ष : तीनों लोक के स्वामी।
50 मदन : प्रेम के प्रतीक।
51 माधव : ज्ञान के भंडार।
52 मधुसूदन : मधु- दानवों का वध करने वाले।
53 महेंद्र : इन्द्र के स्वामी।
54 मनमोहन : सबका मन मोह लेने वाले।
55 मनोहर : बहुत ही सुंदर रूप रंग वाले प्रभु।
56 मयूर : मुकुट पर मोर- पंख धारण करने वाले भगवान।
57 मोहन : सभी को आकर्षित करने वाले।
58 मुरली : बांसुरी बजाने वाले प्रभु।
59 मुरलीधर : मुरली धारण करने वाले।
60 मुरलीमनोहर : मुरली बजाकर मोहने वाले।
61 नंद्गोपाल : नंद बाबा के पुत्र।
62 नारायन : सबको शरण में लेने वाले।
63 निरंजन : सर्वोत्तम।
64 निर्गुण : जिनमें कोई अवगुण नहीं।
65 पद्महस्ता : जिनके कमल की तरह हाथ हैं।
66 पद्मनाभ : जिनकी कमल के आकार की नाभि हो।
67 परब्रह्मन : परम सत्य।
68 परमात्मा : सभी प्राणियों के प्रभु।
69 परमपुरुष : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले।
70 पार्थसार्थी : अर्जुन के सारथी।
71 प्रजापती : सभी प्राणियों के नाथ।
72 पुंण्य : निर्मल व्यक्तित्व।
73 पुर्शोत्तम : उत्तम पुरुष।
74 रविलोचन : सूर्य जिनका नेत्र है।
75 सहस्राकाश : हजार आंख वाले प्रभु।
76 सहस्रजित : हजारों को जीतने वाले।
77 सहस्रपात : जिनके हजारों पैर हों।
78 साक्षी : समस्त देवों के गवाह।
79 सनातन : जिनका कभी अंत न हो।
80 सर्वजन : सब- कुछ जानने वाले।
81 सर्वपालक : सभी का पालन करने वाले।
82 सर्वेश्वर : समस्त देवों से ऊंचे।
83 सत्यवचन : सत्य कहने वाले।
84 सत्यव्त : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले देव।
85 शंतह : शांत भाव वाले।
86 श्रेष्ट : महान।
87 श्रीकांत : अद्भुत सौंदर्य के स्वामी।
88 श्याम : जिनका रंग सांवला हो।
89 श्यामसुंदर : सांवले रंग में भी सुंदर दिखने वाले।
90 सुदर्शन : रूपवान।
91 सुमेध : सर्वज्ञानी।
92 सुरेशम : सभी जीव- जंतुओं के देव।
93 स्वर्गपति : स्वर्ग के राजा।
94 त्रिविक्रमा : तीनों लोकों के विजेता
95 उपेंद्र : इन्द्र के भाई।
96 वैकुंठनाथ : स्वर्ग के रहने वाले।
97 वर्धमानह : जिनका कोई आकार न हो।
98 वासुदेव : सभी जगह विद्यमान रहने वाले।
99 विष्णु : भगवान विष्णु के स्वरूप।
100 विश्वदक्शिनह : निपुण और कुशल।
101 विश्वकर्मा : ब्रह्मांड के निर्माता
102 विश्वमूर्ति : पूरे ब्रह्मांड का रूप।
103 विश्वरुपा : ब्रह्मांड- हित के लिए रूप धारण करने वाले।
104 विश्वात्मा : ब्रह्मांड की आत्मा।
105 वृषपर्व : धर्म के भगवान।
106 यदवेंद्रा : यादव वंश के मुखिया।
107 योगि : प्रमुख गुरु।
108 योगिनाम्पति : योगियों के स्वामी।



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@krishnapatel8792 | Posted on June 14, 2022

जैसे कि आप सभी जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण के द्वारा ही पूरे विश्व को श्री भागवत गीता का ज्ञान प्राप्त हुआ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण जी के कितने नाम हैं हम आपको बता दें कि भगवान श्री कृष्ण के 108 नाम है जो कि यहां पर हम आपको बताएंगे।

1 अचला : भगवान

2 आदि देव : देवताओं के स्वामी

3 आदित्य: देवी आदित्य के पुत्र

4 अमृत : अमृत जैसा स्वरूप वाला

5 आनंद सागर : कृपा करने वाले

6 अनया : जिनका कोई स्वामी ना हो।

इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण जी के अनेकों नाम है।Loading image...

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@aanyasingh3213 | Posted on December 21, 2023

क्या आपको मालूम है कि भगवान श्री कृष्ण जी के कितने नाम है यदि आपको मालूम है तो बहुत ही अच्छी बात है और यदि आप नहीं जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण जी के कितने नाम है तो कोई बात नहीं आज हम आपकी सहायता करेंगे भगवान कृष्ण जी के नाम बताने में। मैं आपको बता दूं कि भगवान श्री कृष्ण जी के 108 नाम है और ऐसी मान्यता है कि यदि जन्माष्टमी के दिन कोई भक्त सच्चे मन से भगवान श्री कृष्ण जी के 108 नाम का जाप करता है तो उसकी सभी मुरादे पूरी होती है। तो चलिए जानते हैं भगवान श्री कृष्ण जी के 108 नाम कि आखिर वह कौन से 108 नाम है।

भगवान श्री कृष्ण को किन-किन नाम से पुकारा जाता है यहां पर हम बताएंगे:-

कृष्णा, कमलनाथ,वासुदेव,हरि, पुण्य,कन्हैया, सनातन, वासुदेव,गविंद,आनंद,योगी, अचला, अमृत, अनया, आनंद सागर,आदि देव, आदि कई नाम से पुकारा जाता है।

मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि श्री हरि विष्णु जी का अवतार ही भगवान श्री कृष्ण जी हैं जिन्होंने माता देवकी के कोख से जन्म लिया है और भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म मथुरा में हुआ था। इनके पिता का नाम नन्द बाबा था। भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म लेने का मुख्य उद्देश्य था कंस को मारना क्योंकि मथुरा का राजा कंस अपने लोगों के साथ बहुत ही ज्यादा अत्याचार करता था। जिस वजह से भगवान श्री कृष्ण जी को पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा। और कंस को मारने के बाद भगवान श्री कृष्ण जी मथुरा के राजा बन जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण जी की बचपन की लीलाएं बहुत सी थी हमेशा वनों में गाय को चारा खिलाने के लिए ले जाते थे, ग्वालो के साथ खेलते थे, गोपियों के साथ रासलीला करते थे। इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण जी पूरे बृजवासी के प्रिय थे।

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