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2014 के चुनाव में जनता ने मोदीजी पर काफी भरोसा जताया था। उनका जज्बा, गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर अनुभव और दिए गए वादों पर यकीन कर लोगो ने उन्हें ना सिर्फ सराहा पर दिल्ली की गद्दी भी उनकी झोली में डाल दी। पूर्ण बहुमत के जोर और अनलिमिटेड सत्ता के चलते मोदीजी ने जीएसटी और नोटबंदी जैसे निर्णय लिए और इन गलत निर्णयों को सही ठहराने की भी हर मुमकिन कोशिश की। सत्ता में पांच साल होने के बावजूद वो अपनी पांच कामियाबियाँ नहीं गिनवा पा रहे है।
फिर भी मार्केटिंग के जोर पर हो सकता है की मोदीजी वापिस दिल्ली में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे। अगर ऐसा हुआ तो इस बार उन्हें वो सब करना पडेगा जिसका उन्होंने 2014 में वादा किया था।
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