पुलवामा हमले ने हिंदुस्तान को बहुत ही बड़ा सदमा दिया है। जो सीआरपीएफ के जवान छुट्टी से वापस ड्यूटी ज्वाइन करने जा रहे थे उनके काफिले पर हमला कर के 42 जवानो को आतंकवादियों ने शहीद कर बहुत ही बड़ी गलती की है और अब न सिर्फ देश का आम आदमी पर सरकार भी ऐसे दहशतगर्दो के खिलाफ बड़े कदम उठाने की फेवर में है। इसी के चलते हाल में मोदी सरकार ने कुछ अलगाववादी नेताओ को दी जानेवाली सरकारी सुविधा और सुरक्षा को वापिस ले लिया है।
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सरकार के ऐसे कदम पर देश के बुद्धिजीवियों और आम लोगो की मिलीजुली प्रतिक्रया सामने आई है। इन अलगाववादी नेताओ में मीरवाइज़ फारूक, शब्बीर शाह, अब्दुल गनी बट्ट, बिलाल लोन, और हाशिम कुरैशी के नाम शामिल है। वैसे देखा जाए तो यह कदम बहुत ही सही है क्यूंकी ये कहे जानेवाले कश्मीरी नेता खाते भारत का है और गाने पाकिस्तान के गा रहे है।
उन की राजनीती सिर्फ दोनों और से फ़ायदा उठाने की रही है और भारत की लाख कोशिश के बावजूद इन्होने कश्मीर मसले को सुलझने नहीं दिया है। उनका रवैया न सिर्फ पाकिस्तान की फेवर का रहा है बल्कि भारत के पास से फेवर के लिए सुविधा और सुरक्षा लेने का भी रहा है। ऐसे दोगले नेताओ की सुरक्षा वापिस लेने में हालांकि भारत सरकार ने देर की है पर फिर भी इस कदम को जरूर एक अहम् कदम माना जा सकता है।