हिन्दू धर्म में कोई भी काम की शुरवात करने से पहले हमेशा शुभ महूर्त देखा जाता है | बिना शुभ महूर्त के काम करना अशुभ माना जाता है | ऐसा ही एक अशुभ दिन पंचकों का कहलाता है | कहा जाता है पंचक में कोई भी काम शुरू नहीं करना चहिये | हिन्दू धर्म में तो यहां तक कहा जाता है, कि किसी इंसान की मृत्यु हो जाए तो कहा जाता है, कि पंचक में किसी की मृत्यु 5 लोगों को लेकर जाएगी | इसलिए उसका पूजन किया जाता है |
पंचक के प्रकार :-
जैसा कि पंचक नाम से ही यह पता चलता है, कि यह 5 प्रकार का होगा | आइये आपको बताते हैं, पंचक के प्रकारों के बारें में |
- राज पंचक :-
जो पंचक सोमवार के दिन से शुरू होता है उसको राज पंचक कहा जाता है |
- रोग पंचक :-
रविवार से शुरू होने वाले पंचक को रोग पंचक कहते है |
- अग्नि पंचक :-
मंगलवार को शुरू होने वाले पंचक को अग्नि पंचक कहते है | (मशीनिरी और आग से जलने वाली वस्तु न खरीदें )
- मृत्यु पंचक :-
शनिवार को शुरू होने वाले पंचक को मृत्यु पंचक कहते है |
- चोर पंचक :-
शुक्रवार को शुरू होने वाले पंचक को चोर पंचक कहते है |
मृत्यु और चोर पंचक सबसे घातक होते हैं |
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पंचक में ये काम न करें :-
- पंचक के समय कभी पलंग या चारपाई नहीं बनवाएं यह बहुत ही अशुभ होता है | इससे आपकी ज़िंदगी में बड़ा संकट खड़ा हो सकता है |
- पंचक के दिनों में जिस समय में घनिष्ठा नक्षत्र हो उस उस समय लकड़ी,घांस और ऐसी कोई भी वस्तु न लें जिससे आग लगने ला डर हो | अग्नि पंचक में आग लगने का डर बहुत होता है |
- पंचक के समय कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ यात्रा न करें | अगर आप कही घूमने जा रहे हैं, तो पंचक के दिनों में दक्षिण दिशा में न जाएं | दक्षिण दिशा को यम की दिशा मानी गई है।
- पंचक के समय रेवती नक्षत्र चल रहा हो तो उस दिन घर की छत्त नहीं डलवाना चाहिए |
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