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ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिला है। इस पर आपकी क्या राय है?
वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिलने की बात एक पक्ष कर रहा है, ऐसे में यह मामला और भी तूल पकड़ लिया है। हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपने-अपने दावे कर रहे हैं, आपको पता है कि मामला कोर्ट में है। कोर्ट द्वारा इन सबूतों की जांच पड़ताल होगी, तभी कोई नतीजा निकल पाएगा।
दावा किया जा रहा है कि वजूखाने में जो पत्थर मिला है वह शिवलिंग है। लेकिन दूसरा पक्ष इस बात को नकार रहा है और कह रहा है कि यहां वजूखाने का एक साधारण फव्वारा है।
इसके अलावा ज्ञानवापी मस्जिद की तरफ मुख वाली नंदी की विशाल प्रतिमा इस बात को इंगित करता है कि वहां पर भगवान शिव की पूजा होती थी, यहां शिवलिंग रहा होगा। इस तरह के कई ठोस तर्क है जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि मस्जिद से पहले यहां पर मंदिर का अस्तित्व रहा है। मंदिर के अस्तित्व को बिगाड़ कर मस्जिद बनाई गई है ऐसे दावे कई इतिहासकार भी मानते हैं।
दोस्तों ताजा विवाद यह है कि सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद में जो शिवलिंग बताया जा रहा है वह आखिर में शिवलिंग है कि नहीं इसके बारे में कैसे पता चलेगा तो यह साफ है कि आज के समय में बहुत से वैज्ञानिक तरीके हैं-जैसे कार्बन डेटिंग के माध्यम से आसानी से पता चल सकता है कि यह शिवलिंग है कि नहीं। हालांकि दोनों पक्षों की तरफ से अपने तर्क रखे जा रहे हैं लेकिन यह सोचना बहुत जरूरी है कि बिना कोई वैज्ञानिक आधार पर हम उसे कुछ कह नहीं सकते हैं। कोर्ट के द्वारा जांच के बाद सच सामने आ जाएगा। क्योंकि मामला कोर्ट में ऐसे में कुछ बता पाना बहुत मुश्किल होगा लेकिन विशेष विशेषज्ञों की तर्क को यहां पर देखा जाए तो इस आधार पर आप अंदाजा लगा सकते हैं।
इससे संबंधित कुछ बातें निम्नलिखित हैं-
कार्बन डेटिंग
कार्बन डेटिंग क्या होता है? यह भी जानना आपके लिए जरूरी है। आपको बता दें कार्बन डेटिंग के जरिए किसी भी चीज की उम्र का पता चलता है। यह आधुनिक समय का एक ऐसा तरीका है जिस से चीजों में मौजूद कार्बन से उसके उम्र का पता चलता है। इससे इतिहास की पुरानी इमारतों, पत्थर, चमड़े, कोयला, लकड़ी, रत्न, जानवरों- पौधों आदि के अवशेषों की भी सही उम्र पता हो जाती है।
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